केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने दावा किया कि कुछ ही महीनों में कोरोना वैक्सीन बनकर तैयार हो जायेगी. अब सवाल यह है कि आपको कोरोना वैक्सीन कैसे और कितनी कीमत में मिलेगी?
कोरोना का संभावित टीका ‘कोवैक्सीन’ लगवाया जो ट्रायल के तीसरे फेज़ में है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की तरफ़ से कोरोना के टीके की क़ीमत बता दी गई. संस्थान के अनुसार, कोरोना से बचाव के लिए एक डोज़ की क़ीमत 500 से 600 रुपये होगी. खबर यह भी आ रही है कि कोरोना से बचाव के लिए दो से तीन हफ्तों में दो बार वैक्सीन का इस्तेमाल करना पड़ेगा.
आप तक कैसे पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन इन को लोगों तक पहुंचाने के लिए प्लान तैयार किया जा चुका है. भारत सरकार का मानना है कि भारत में बच्चों के लिए जो टीकाकरण अभियान चलते हैं, उनके लिए देश भर में वैक्सीन को स्टोर करने के लिए कुछ स्टोरेज चेन पहले से उपलब्ध हैं. और हम कोरोना वैक्सीन को आम लोगों तक इसी चेन के जरिए पहुंचाएंगे. लेकिन यहां दिक्कत यह आ रही है कि ये चेन चेन मॉडर्ना और फाइज़र वैक्सीन को स्टोर करने के काम नहीं आयेगी.
इसलिए भारत सरकार ऑक्सफ़ोर्ड वाले टीके और भारत में बनने वाली कोवैक्सीन पर नज़र टिकाये बैठी है, जिनको नॉर्मल फ्रिज के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है. भारत सरकार को उम्मीद है कि अगर सब नतीजे सही रहे तो अगले साल शुरुआत में कोवैक्सीन भी बाज़ार में आ जाएगी, जिसमें स्टोरेज संबंधी दिक्क़तों का सामना भारत जैसे देश को नहीं करना पड़ेगा. दूसरी बड़ी परेशानी यह है कि क्या भारत में इतनी विशाल आबादी को कोरोना वैक्सीन मिल पाएगी? तो इसका जवाब अभी किसी के पास नहीं है लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया का दावा है कि ‘वो आज भी हर महीने 50 मिलियन से 60 मिलियन वैक्सीन डोज़ बनाने की स्थिति में है.’
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने इतना ज़रूर कहा है कि ‘भारत सरकार ने जुलाई 2021 तक उनसे 100 मिलियन वैक्सीन डोज़ की माँग की है.’ जुलाई 2021 तक केंद्र सरकार ने 300 मिलियन वैक्सीन डोज़ जनता तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है.
किसे लगाया जाएगा कोरोना का पहला टीका?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि “135 करोड़ भारतवासियों के लिए एक साथ टीका मुहैया कराना मुमकिन नहीं है. इसलिए सरकार ने प्राथमिकता तय की है.” भारत सरकार ने यह साफ़ कर दिया है कि कोरोना का टीका जब भी भारत में उपलब्ध होगा, तो सबसे पहले हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगेगा. उन्होंने कहा, “अभी जिन टीकों के सफल होने की बात चल रही है, उनके दो डोज़ लगाने पड़ेंगे. ये दो टीके दो से तीन हफ़्ते के अंतराल में लगेंगे. ऐसे में भारत सरकार शुरुआत में केवल 25 से 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण ही कर सकती है. पिछले 10 महीने से जो हेल्थकेयर वर्कर जान की बाज़ी लगाकर काम कर रहे हैं, वो सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर हैं.”
“फिर 65 साल से ज़्यादा उम्र वालों को टीका लगेगा. उसके बाद 50 से 65 साल वालों को टीकाकरण अभियान में प्राथमिकता दी जायेगी. फिर चौथे नबंर पर 50 साल से कम उम्र वाले ऐसे लोगों को जगह दी जायेगी जिनको दूसरी बीमारियाँ हैं.” बताया गया है कि पहले चरण में जिन हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को यह टीका लगना है, उसकी लिस्ट राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने अक्तूबर के अंत तक तैयार कर ली थी.
भारत में कहां-कहां चल रहे हैं वैक्सीन के ट्रायल?
भारत में इस वक़्त पाँच अलग-अलग कोरोना वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं. इनमें से दो तीसरे और एडवांस स्टेज में हैं. सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन के अलावा, दुनिया भर में बन रहे चार और वैक्सीन बनाने वाली संस्थाओं के साथ वैक्सीन के उत्पादन का क़रार किया है. आने वाले एक साल तक हर तीन से चार महीने के बीच एक नई वैक्सीन बाज़ार में आयेगी. ये जनता और सरकार पर निर्भर करेगा कि वो कौनसी वैक्सीन लगवाना चाहते हैं. इसकी शुरुआत जनवरी से होगी, जब ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन के बाज़ार में आने की संभावना जताई जा रही है.
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