पहले पीएमसी, फिर यस बैंक और अब लक्ष्मी विलास बैंक. एक के बाद एक बैंक बर्बाद हो रहे हैं. क्या मोदी सरकार में बैंकों में रखा हुआ पैसा सुरक्षित नहीं है. क्योंकि केंद्र सरकार ने लक्ष्मी विलास बैंक से धन निकासी की सीमा तय कर दी है.
बीते 3 सालों में लक्ष्मी विलास बैंक का नेटवर्थ खत्म हो चुका है. किसी तरह की रणनीतिक योजना नहीं होने, घटते एडवान्स और बढ़ते नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स की वजह से नुकसान जारी रहने की उम्मीद है. यह बातें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कही हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई लक्ष्मी विलास बैंक को उबारने और जमाकर्ताओं के पैसे की वापसी के लिए मास्टर प्लान बना रहा है. इसके तहत, लक्ष्मी विलास बैंक का डीबीएस बैंक में विलय होगा. आरबीआई के प्लान के मुताबिक सिंगापुर सरकार समर्थित डीबीएस, लक्ष्मी विलास बैंक में 2500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा. इसके तहत लक्ष्मी विलास बैंक की 560 शाखाओं के जरिए डीबीएस बैंक की पहुंच इसके होम, पर्सनल लोन और स्मॉल स्केल इंडस्ट्री लोन ग्राहकों तक हो जाएगी. दूसरी ओर, लक्ष्मी विलास बैंक के जमाकर्ताओं को भी फायदा होगा.
विशेष परिस्थितियों में सिर्फ 25000 ही निकाल सकते हैं खाताधारक
बीते मंगलवार को आर्थिक संकट से जूझ रहे लक्ष्मी विलास बैंक को आरबीआई ने मोरेटोरियम में डाल दिया था. साथ ही अगले 6 महीनों तक कई तरह की पाबंदी लगा दी. इसके तहत इस दौरान बैंक ग्राहक 25 हजार रुपये से ज्यादा रकम बैंक से नहीं निकाल पाएंगे. आरबीआई ने बैंक के बोर्ड को भी भंग कर दिया था. लक्ष्मी विलास बैंक के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की जगह रिजर्व बैंक ने एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति की है. केंद्र सरकार ने ये फ़ैसला रिर्ज़व बैंक की सिफारिश पर लिया है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने बैंक से धन निकासी की सीमा भी तय कर दी है. सीमा अगले महीने यानी 16 दिसंबर तक के लिए तय की गई है. तब तक बैंक के खाता धारक एक खाते से अधिकतम 25 हज़ार रुपये निकाल सकते हैं.
केंद्र सरकार के मुताबिक कुछ परिस्थितियों में खाता धारक 25 हज़ार रुपये से भी अधिक रकम निकाल सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें रिर्ज़व बैंक से अनुमति लेनी होगी. बीमारी के उपचार, उच्च शिक्षा या फिर शादी के खर्च के लिए अनुमति ली जा सकती है. अचानक से लक्ष्मी विलास बैंक के बर्बाद होने की खबर आने के बाद खाताधारक परेशान हैं. लक्ष्मी विलास बैंक एक वाणिज्यिक बैंक है. इसकी 563 शाखाएं और करीब 974 एटीएम हैं. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से नियुक्त लक्ष्मी विलास बैंक (Lakshmi Vilas Bank) के प्रशासक टीएन मनोहरन ने बुधवार को कहा कि बैंक के जमाकर्ताओं का पैसा लौटाने के लिए पर्याप्त लिक्विडिटी है. उन्होंने कहा कि अभी हमारी शीर्ष प्राथमिकता बैंक के जमाकर्ताओं को यह भरोसा दिलाना है कि उनका पैसा पूरी तरह सुरक्षित है.
पीएमसी और यस बैंक के बाद लक्ष्मी विलास बैंक क्यों डूबा?
पीएमसी बैंक वाले मामले में जब धोखाधड़ी की बात सामने आई तो रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने उनके बोर्ड ऑफ़ डिरेक्टर को निलंबित कर दिया था और उसकी जगह अपने एक एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति की थी. यस बैंक के मामले में भी यही हुआ था और अब लक्ष्मी विलास बैंक के मामले में भी सरकार ने एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति की है. रिज़र्व बैंक के इस एडमिनिस्ट्रेटर का काम ये देखना होता है कि बैंक में किस तरह की गड़बड़ी हुई है या फिर क्या चूक हुई है. लेकिन बड़ा सवाल अभी भी यही है कि आखिर एक के बाद एक बैंक बर्बाद क्यों हो रहे हैं. क्या आने वाले समय में लोगों का बैंक को पर से भरोसा उठ जाएगा?
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