बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही एनडीए के पक्ष में रहे हो लेकिन हैदराबाद के नेता असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने राज्य में अपनी छाप छोड़ी है. हालांकि कुछ लोग उन्हें बीजेपी की बी टीम करार दे रहे हैं लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की ओवैसी मुसलमानों के लिए राजनीतिक विकल्प बनकर उभर रहे हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 5 सीटें जीती हैं. यह सभी सीटें बिहार के सीमांचल इलाके की हैं जहां मुसलमान वोट निर्णायक भूमिका में है. बिहार के सीमांचल इलाक़े में 24 सीटे हैं जिनमें से आधी से ज़्यादा सीटों पर मुसलमानों की आबादी आधी से ज़्यादा है. शुरुआत में जानकारी यह मान रहे थे कि मुसलमान वोट महागठबंधन के पक्ष में जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. नतीजे बताते हैं कि मुसलमानों ने महागठबंधन के विकल्प के तौर पर ओवैसी को चुना.
मुस्लिम बाहुल्य सीटों के आंकड़े
- पूर्णिया की अमौर सीट पर अब तक कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान पिछले 36 सालों से विधायक थे. इस बार उन्हें सिर्फ़ 11 फ़ीसद वोट मिले हैं जबकि एआईएमआईएम के अख़्तर-उल-ईमान ने 55 फ़ीसद से अधिक मत हासिल कर सीट अपने नाम की है.
- बहादुरगंज सीट पर कांग्रेस के तौसीफ़ आलम पिछले सोलह सालों से विधायक हैं. इस बार उन्हें दस फ़ीसद मत ही मिले हैं जबकि एआईएमआईएम के अंज़ार नईमी ने 47 फ़ीसद से अधिक मत हासिल कर ये सीट जीती है.
यह आंकड़े आपको यह बताने के लिए काफी हैं कि बिहार में मुसलमानों ने किस तरह वोटिंग की है. निश्चित तौर पर असदुद्दीन ओवैसी बिहार विधानसभा चुनाव में मुसलमानों का एक बड़ा चेहरा बन कर उभरे हैं. महागठबंधन को लग रहा था कि सीमांचल से आसानी से सीटें निकल जाएंगी और वो राज्य में सरकार बना लेंगे. लेकिन यहां नतीजे इसके उलट रहे हैं. मुसलमान वोटर अपनी अलग पहचान चाह रहे हैं. वो नहीं चाहते कि उन्हें सिर्फ़ बीजेपी को हराने वाले वोट बैंक के तौर पर देखा जाए. वो अपने इलाक़े में बदलाव चाहते हैं, विकास चाहते हैं.
ओवैसी पर लगा बीजेपी की बी टीम होने का आरोप
एआईएमआईएम के मैदान में आने की वजह से आरजेडी और कांग्रेस को सीटों का नुकसान तो हुआ है लेकिन ऐसा नहीं कि एमआईएमआईएम ने वोट काट लिए हों. हां यह जरूर है कि ओवैसी के मैदान में उतरने से मुसलमानों का वोट कुछ सीटों पर विभाजित जरूर हुआ. इसकी वजह से ओवैसी पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप भी लग रहा है. हालांकि पूरे कि इन आरोपों से इनकार करते हैं वो कहते हैं कि उनकी बिहार इकाई ने मेहनत की है और इसी का नतीजा है विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 5 सीटें मिली.
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