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वो किस्सा जिसने बहुत पहले ही शाहरुख खान के सुपरस्टार होने की तस्दीक कर दी थी

शाहरुख खान यानी ‘किंग ऑफ रोमांस’ 55 साल के हो गए हैं. बॉलीवुड में बाहरी होने से लेकर सुपरस्टार बनने तक का सफर तय करने में उन्होंने काफी मेहनत की. लेकिन उन्हें जानने वाले यह भी जानते हैं कि शाहरुख में हमेशा से सुपरस्टार वाला रौला था.

एक नया लड़का जो किसी नए शहर से नए लोगों के बीच नए तरह के काम करने के लिए गया हो और उसमें किसी नामचीन को काम के लिए मना करने की हिम्मत हो. यह बहुत कम ही देखने को मिलता है. लेकिन शाहरुख खान जब मुंबई में काम के लिए गए थे तो उनके अंदर यह बात थी. करण जौहर ने अपनी आत्मकथा ‘एन अनसूटेबल बॉय’ में शाहरुख की शुरुआती अभिनय से जुड़ी जिंदगी के बारे में काफी विस्तार से लिखा है. इसी किताब में शाहरुख से जुड़ा एक किस्सा है जो यह बताता है शाहरुख सुपरस्टार बनने से पहले भी सुपर स्टार सरीका बर्ताव करते थे.

करण जौहर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है वह किस्सा

करण जौहर अपनी आत्मकथा के मुताबिक, बात उन दिनों की है जब रईस बच्चों की परवरिश पाने वाले करण जौहर दसवीं कक्षा का एक्जाम दे चुके थे और काम की तलाश में शाहरुख खान दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हो चुके थे. इसी दौरान एक्जाम के बाद वाली छुट्टियों में करण जौहर की मां के पास लेखक-निर्देशक आनंद महेंद्रू का फोन आया (जिन्होंने बाद के वर्षों में ‘देख भाई देख’ सीरियल बनाया था) और चूंकि मुंबई में हर फिल्मी फैमिली दूसरी फैमिली से फैमिलियर होती है इसलिए उन्होंने हीरू जौहर से पूछा, ‘मेरे ख्याल से आपका बेटा बहुत मोटा है?’ हीरू जौहर ने छूटते ही कहा कि छुटपन का मोटापा है, छट जाएगा. आनंद महेंद्रू ने मुद्दे की बात पर आते हुए कहा कि एक रोल के लिए उन्हें मोटे लड़के की जरूरत है, क्या वे अपने बेटे को उनके ऑफिस भेज सकती हैं. आनंद महेंद्रू उस समय ‘इंद्रधनुष’ (1989) नामक सीरियल बना रहे थे और इसी धारावाहिक के चलते एक-दूसरे से अंजान शाहरुख खान और करण जौहर पहली बार एक-दूसरे से मिले थे. यह एक ऐसी मुलाकात है जो शाहरुख को भी बरसों बाद याद रही, और करण ने भी न भूलते हुए उसे अपनी आत्मकथा में दर्ज किया. लेकिन जब यह मुलाकात हुई थी, तब दोनों में से किसी ने भी दूसरे से बात नहीं की थी!

सीरियल में काम करने से मना करने के लिए किया 4 घंटे इंतजार

अगले दिन करण जौहर ठीक 10 बजे आनंद महेंद्रू के दफ्तर पहुंच गए लेकिन तब तक यह निर्देशक एडिटिंग रूम में जा चुका था. एक सहायक ने आकर करण को उनकी लाइनें समझा दीं और तसल्ली दे दी कि थोड़ी देर में आकर आनंद महेंद्रू उनका ऑडिशन लेंगे. लेकिन बैठे-बैठे दोपहर के दो बज गए और इस दौरान एक नौजवान भी करण जौहर के ठीक सामने तसल्ली से बैठा रहा. सिगरेट के साथ कई कप कॉफी पीता रहा और क्रॉसवर्ड हल करने में व्यस्त रहा. अकेले होने के बावजूद, दोनों ने ही एक-दूसरे से बात करने की कोशिश नहीं की. आखिरकार दो बजे महेंद्रू साहब एडिटिंग रूम से बाहर आए और सीधे उस नौजवान के पास जाकर इंतजार कराने के लिए माफी मांगी. लेकिन बिना वक्त गंवाए वो नौजवान बोला, ‘कोई नहीं, मैं तो आराम से अपना क्रॉसवर्ड कर रहा था. मैं आपको सिर्फ इतना कहने आया हूं कि मैं टेलीविजन नहीं करना चाहता’. आनंद महेंद्रू सकपका गए और हैरत में पड़ते हुए पूछा कि तुम चार घंटे से यहां सिर्फ यह बताने के लिए बैठे हो कि तुम मेरा सीरियल नहीं करना चाहते? 24 साल के उस लड़के ने जवाब दिया, ‘हां, मैं यह सीरियल नहीं करना चाहता. मैं अब फिल्मों पर फोकस करना चाहता हूं.’

आनंद यह सोच कर परेशान थे कि नया लड़का है और 4 घंटे से सिर्फ ये कहने के लिए मेरा इंतजार कर रहा है कि वह मेरे सीरियल में काम नहीं चहाता. इसके बाद आनंद महेंद्रू ने करण जौहर से कहा, ‘तुम जानते हो इस लड़के को? ये शाहरुख खान है. ये ‘फौजी’ (1989) में था लेकिन गुड-लुकिंग तक नहीं है. मेरी नजर में एक लड़का है जॉन गार्डनर. मैं उसका नाम बदलकर अक्षय आनंद रख रहा हूं और वही मेरे सीरियल में हीरो बनेगा. शाहरुख से तो बहुत बेहतर है वो.’ इस किस्से से आप अंदाजा लगा सकते हैं कृष शाहरुख खान अपने करियर के शुरुआती दिनों में अपने आप को लेकर कितने आत्मविश्वास से भरे हुए थे. ये किस्सा बताता है कि शाहरुख खान अपनी काबिलियत को अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही पहचान गए थे.

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