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बिहार चुनाव में कांग्रेस का एनडीए पर ‘निर्मम’ और ‘निर्दयी’ हमला

बिहार विधानसभा चुनाव निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है. इस बार बिहार में कई गठबंधन चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन मुकाबला महागठबंधन और एनडीए के बीच है. पहला चरण खत्म होने के बाद महागठबंधन जोश में है और उसने सीधे-सीधे पीएम मोदी और नीतीश कुमार को निशाने पर लिया है.

बिहार में पहले चरण की 71 सीटों पर मतदान का प्रतिशत कुछ अभूतपूर्व नहीं रहा. मगर इसे लोग अभूतपूर्व इसलिए भी मान रहे हैं क्योंकि इस बार कोरोना महामारी में अगर 54.26 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले, तो ये भी इस समय के हिसाब से बहुत बड़ी बात है. पहले चरण में इन्हीं सीटों पर 54 प्रतिशत, या कुछ कम ज़्यादा, का मतदान हर बार होता रहा है. चाहे पिछले विधानसभा के चुनाव रहे हों या पिछले साल हुए लोकसभा के चुनाव. तो क्या इस बार का वोटिंग परसेंटेज बदलाव के संकेत दे रहा है. क्योंकि पहले चरण में जिन 71 सीटों पर वोटिंग हुई है वहां आरजेडी हमेशा मजबूत मानी जाती रही है. इन इलाकों में तत्कालीन एनडीए को सिर्फ 14 सीटें मिली थीं. महागठबंधन को लग रहा है पहले चरण में भी जिस प्रकार लोग कोरोना वायरस के ख़तरे के बावजूद वोट डालने निकले उससे समझ में आता है कि लोग बदलाव चाहते हैं.

निर्मम कुमार और निर्दयी मोदी की ‘जंगलराज’ की बात ना करें

बिहार में ‘तेजस्वी तय है’ का नारा देने वाली आरजेडी तेजस्वी यादव की रैलियों में हो रही भीड़ से काफी आशान्वित है और कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार कुछ कमाल होगा. लिहाजा कांग्रेस प्रवक्ता गौरव बल्लव ने नीतीश कुमार को निर्मम और पीएम नरेंद्र मोदी को निर्दयी मोदी कहते हुए संबोधित किया और कहा कि मुंगेर में जो कुछ भी हुआ वह हम सब ने देखा है. उन्होंने कहा बिहार की जनता जेडीयू और बीजेपी को यह बताएगी कि जंगलराज किसे कहते हैं.

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए पहले चरण के मतदान में बिहार के 16 ज़िलों की कुल 71 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. सबसे अधिक मतदान बांका ज़िले के धौरय्या विधान सभा सीट पर हुआ जहां 62.50 प्रतिशत वोट डाले गए. सबसे कम वोट भोजपुर ज़िले की संदेश सीट पर डाले गए जहां शाम छह बजे तक 43.80 प्रतिशत वोट पड़े. यानी कोरोना महामारी मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक आने से नहीं रोक पा रही है. क्या यह मतदान प्रतिशत और महागठबंधन के एनडीए पर बढ़ते हमलों को देखकर ऐसा कहा जा सकता है हवा का रुख बदलाव चाहता है?

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