Site icon Rajniti.Online

लोकतांत्रिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ाकर 3 घंटे में पास हुए 7 बिलों में क्या खास है?

आठ दिन पहले ही बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई. लेकिन दस दिनों तक चले इस सत्र में राज्यसभा में 25 विधेयक पारित किए गए. बुधवार को सिर्फ 3 घंटे में सात बिलों को बिना विपक्ष के पारित करा लिया गया.

मानसून सत्र 2020 के दौरान राज्य सभा से विपक्ष के आठ सांसदों के निलंबन के बाद, अधिकतर विपक्षी दलों ने सदन का बहिष्कार कर दिया. लेकिन इसके बावजूद सदन की कार्रवाई चलती रही और साढ़े तीन घंटों में ही एक के बाद एक सात विधेयक पारित हो गए. चलिए आपको बताते हैं वह कौन से बिल हैं जिन्हें सरकार ने आनन-फानन में बिना विपक्ष की मौजूदगी के पारित करा लिया.

आईआईटीयों पर विधेयक

इनमें सबसे पहले पास हुआ भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान विधियां (संशोधन) विधेयक, 2020. इसके तहत पांच नए आईआईटीयों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित किया जाना है. इसके अलावा बाकी छह विधेयक भी लोक सभा से पहले ही पारित हो चुके थे.

बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक

इस बिल का उद्देश्य सहकारी बैंकों को आरबीआई की देखरेख में लाना है. 2019 में पीएमसी सहकारी बैंक में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था, जिससे आम खाताधारकों की जमापूंजी के डूब जाने का खतरा पैदा हो गया था.

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक

यह उन कृषि संबंधी विधेयकों में से एक है जिनका किसान और विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. इसका उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज और आलू को निकालना और उन पर भंडारण की सीमा तय करने की सरकार की शक्ति को खत्म करना है.

कंपनी (संशोधन) विधेयक

कंपनी अधिनियम, 2013 का और संशोधन करने वाले इस विधेयक का उद्देश्य है पुराने कानून के तहत कुछ नियमों के उल्लंघन के लिए सजा को कम करना. विपक्ष की आपत्ति थी कि सजा कम करने से कंपनी मालिकों को लगेगा की वे वित्तीय अनियमितताओं के दोषी पाए जाने पर भी बच जाएंगे.

राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक

इस विधेयक का उद्देश्य गुजरात स्थित गुजरात न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय बनाना और उसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देना है.

राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक

इस विधेयक का उद्देश्य है गुजरात में ही स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय बनाना और उसे भी राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देना.

कराधान संबंधी विधेयक

इस विधेयक का उद्देश्य कराधान यानी टैक्सेशन संबंधी नियमों में कुछ संशोधन करना था, जिससे कंपनियों को कोरोना वायरस महामारी की वजह से हुए नुक्सान को देखते हुए कर संबंधी नियमों के पालन और भुगतान आदि के लिए अतिरिक्त समय दिया जा सके. यह एक धन विधेयक यानी ‘मनी बिल’ था, इसलिए इसे लोक सभा वापस लौटा दिया गया.

ऐसा नहीं है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की धज्जियां सिर्फ मोदी सरकार नहीं उड़ाई हैं इससे पहले भी आनन-फानन में शोरगुल के बीच बिलों को पास कराने का काम पहले भी हुआ है. 2008 में लोक सभा में शोरगुल के बीच 17 मिनटों में आठ विधेयक पास करा लिए गए थे.

यह भी पढ़ें:

अपनी राय हमें rajniti.on@gmail.com के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |

Exit mobile version