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शिवसेना से क्यों भिड़ रहीं हैं कंगना, क्या इसके पीछे है कोई सियासी मामला ?

बंबई हाई कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेती कंगना रनौत के दफ़्तर पर मुंबई महानगरपालिका की कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने बीएमसी से कंगना की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा है.

कंगना के वकील रिज़वान सिद्दिक़ी ने कहा कि बीएमसी ने जो नोटिस दी थी उसका जवाब पहले ही दे दिया गया था. उन्होंने पत्रकारों से कहा,”बीएमसी ने जो ‘स्टॉप वर्क’ नोटिस दिया था वो बे​बुनियाद है और अवैध है, स्टॉप वर्क उनको देना पड़ता है जिनके घर में काम चालू हो. वो अवैध तरीके से घर में घुसे, आस पड़ोस में सबको धमकी देकर घुस गए. नोटिस का जवाब मैंने कल ही दे दिया था.” कंगना रनौत ने भी ख़ुद ट्वीट कर इस कार्रवाई की तस्वीरें पोस्ट की और एक बार फिर मुंबई की तुलना ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर’ से की है. उनके पिछले ऐसे बयान को लेकर हंगामा मचा था. उन्होंने बुधवार को लिखा, “मैं कभी भी ग़लत नहीं होती और मेरे दुश्मनों ने इसे बार-बार साबित किया है. इसलिए मेरी मुंबई अब पीओके है.”

बीएमसी ने लिया बदला?

इस पूरे मामले में बीएमसी के ऊपर ये आरोप लग रहा है कि उसने ये कार्रवाई बदले की भावना से प्रेरित होकर की है. बीएमसी पर आरोप लगाने वालों का तर्क है कि इससे पहले शाहरूख ख़ान से लेकर कपिल शर्मा जैसी हस्तियों के ख़िलाफ़ भी बीएमसी ने कार्रवाई की है. लेकिन 24 घंटे जैसा फरमान जारी करके अगले दिन तोड़फोड़ का काम नहीं किया गया जो कि कंगना के मामले में किया गया है. जानकार मानते हैं कि बीएमसी ने जिस ढंग से कंगना के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है, वो बताता है कि शरद पवार की इसमें बड़ी भूमिका है क्योंकि पवार को अपने दुश्मनों से क़ानूनी परिधि में रहते हुए निपटने के लिए जाना जाता है.

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