भारत का सर्विस सेक्टर यानी सेवा क्षेत्र लगातार छठे महीने में रसातल में ही रहा. कोरोना महामारी के चलते कारोबारी गतिविधियों में रुकावट आने और मांग कम होने के चलते भारत का सर्विस सेक्टर उबर नहीं पा रहा है.
घरेलू और विदेशी दोनों स्तर पर मांग कम होने से उत्पादन कम हो रहा है और इसके कारण अब भी लोगों की नौकरियां जा रही हैं. भारत सरकार लोगों को रोजगार देने में नाकाम साबित हो रही है. भारत में युवाओं की लंबी फौज नौकरी के लिए हाथ फैलाए खड़ी है पर हकीकत यह है कि सरकार के पास नौकरी देने की कोई योजना नहीं है. यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि अगस्त में आए आंकड़े भी इस ओर इशारा करते हैं कि देश का सर्विस सेक्टर कबाड़ा हो गया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक इंडस्ट्री सर्वे के हवाले से रिपोर्ट दी है कि कारोबारी गतिविधियां प्रभावित होने से अगस्त में भी नौकरियां जाने का सिलसिला जारी है. सर्वे कहता है कि अर्थव्यवस्था के अप्रैल से लेकर जून दूसरी तिमाही में सिकुड़ने के बाद सर्विस सेक्टर में सुधार में लंबा समय लगेगा. आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “भारत के सर्विस सेक्टर में अगस्त में भी कारोबार संचालन की स्थितियां चुनौतिपूर्ण बनी हुई हैं.
घरेलू और विदेशी बाज़ारों में लॉकडाउन के प्रतिबंधों का उद्योग पर बहुत बुरा असर पड़ा है.”अर्थव्यवस्था को और नुक़सान से बचाने के लिए सरकार ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भी अंडरग्राउंड ट्रेन नेटवर्क्स खोलने, खेल से जुड़े और धार्मिक आयोजनों की सीमित अनुमति दी है.
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