चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मंगलवार को अपनी प्रेस ब्रीफ़िंग में कहा. वो उकसाने वाली हरकत बंद करे और अपने उन सैनिकों को तत्काल वापस बुला ले जिन्होंने ग़लत तरह से वास्तविक नियंत्रण रेखा या एलएसी का उल्लंघन किया है.
हुआ ने कहा,”चीन ने कभी भी किसी लड़ाई या संघर्ष के लिए नहीं उकसाया और ना ही किसी और देश की एक इंच ज़मीन पर कब्ज़ा किया है. चीनी सैनिकों ने कभी भी लाइन को पार नहीं किया. शायद इसे लेकर संवाद का कोई मसला है”.
भारत और चीन के बीच चल रहा सीमा विवाद लगातार गहराता जा रहा है. एक तरफ मोदी सरकार के ऊपर ही आरोप लग रहे हैं कि वह इस विवाद को लेकर देश से झूठ बोल रही है. वहीं दूसरी तरफ ऐसे खुलासे हो रहे हैं की ड्रैगन ने हमारी सरहद में घुस कर हमारी जमीन हथिया ली है.
ताजा जानकारी यह है की पेट्रोलिंग प्वाइंट 10-13 से देपसांग प्लेन्स में भारत की एलएसी की जो धारणा है उसके 900 वर्ग किमी. के इलाक़े पर चीन का नियंत्रण है. खबर देश के प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने छापी है. इस ख़बर के मुताबिक केंद्र को इस संबंध में खुफ़िया जानकारी दी गई है. कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर करीब 1000 वर्ग किमी. का क्षेत्र अब चीन के कब्ज़े में है.
अख़बार ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा है कि देपसांग प्लेन से चुसुल तक चीन ने अपरिभाषित एलएसी के पास व्यवस्थित तरीके से सेना बढ़ाई है. गलवान वैली में 20 वर्ग किमी., हॉट स्प्रिंग्स में 12 वर्ग किमी., पैंगॉन्ग सो में 65 वर्ग किमी. और चुसुल में 20 वर्ग किमी. का इलाक़ा चीन के कब्ज़े में है.
4 महीने से है भारत चीन सीमा पर तनाव
चीन अप्रैल से मई तक एलएसी के पास सैनिकों की तैनाती और उनकी उपस्थिति को मजबूत करता आया है. जून 15 को पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक मारे गए थे. भारत सरकार ने सोमवार को कहा कि चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में सीमा पर बनी सहमति का उल्लंघन किया है. चीनी सैनिकों ने उकसाऊ क़दम उठाते हुए सरहद पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें रोक दिया. हालांकि, चीन ने अपने सैनिकों के एलएसी को पार करने की ख़बरों का खंडन किया है. 15 जून को हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है लेकिन तनाव अब भी बना हुआ है.
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