सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना के मामले में प्रशांत भूषण को 1 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई
प्रशांत भूषण ने अपने दो ट्वीट्स में सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर टिप्पणी की थी जिसके लिए अदालत ने 14 अगस्त को उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को सजा सुनाते हुए ₹1 का जुर्माना लगाया है.
सर्वोच्च न्यायालय ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को सजा सुनाते हुए कहा है कि अगर वह जुर्माना नहीं भरते हैं तो उनको 3 महीने की सजा काटनी पड़ेगी या फिर 3 साल के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोक दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने कोलकाता हाईकोर्ट के एक पुराने फ़ैसले का ध्यान दिलाया था और कहा था कि अदालत ने ममता बनर्जी को कोई सज़ा नहीं दी जिन्होंने कहा था कि सारे न्यायाधीश भ्रष्ट होते हैं. राजीव धवन ने अदालत से कहा, “प्रशांत भूषण को शहीद मत बनाइए.” उन्होंने साथ ही कहा कि ये विवाद और गहराएगा और ये इस बात पर निर्भर करेगा कि अदालत उन्हें क्या सज़ा देती है.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि ये मामला व्यवस्था से जुड़ा मामला है, अगर हमलोग एक-दूसरे को ख़त्म करते रहेंगे तो इस संस्थान में किसका भरोसा रहेगा. आपको सहिष्णु होना पड़ेगा, आप देखिए कि अदालत क्या कर रही है और क्यों कर रही है. केवल हमले ना करें. न्यायाधीश लोग प्रेस में जाकर अपना बचाव नहीं कर सकते ना ही सफ़ाई दे सकते हैं. जस्टिस मिश्रा ने कहा, हम जो भी कहना चाहते हैं, अपने फ़ैसलों में लिखते हैं. हमारे पास कई बातें हैं, पर क्या हमें प्रेस में जाना चाहिए? मैं कभी ये नहीं करूँगा.
उन्होंने राजीव धवन से कहा कि आप बार के नेता हैं, हम आपसे अपेक्षा करते हैं कि आप तटस्थ रहें. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण मिश्रा ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से ये भी पूछा कि आपकी राय में क्या सज़ा होनी चाहिए. जस्टिस मिश्रा का ये भी कहना था कि हमें मीडिया रिपोर्ट्स से प्रभावित नहीं होना चाहिए. जस्टिस मिश्रा ने अटॉर्नी जनरल से ये भी कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों के बयान का ज़िक्र न करें. सज़ा के बारे में पूछे जाने पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रशांत भूषण को कड़ी चेतावनी दी जा सकती है और कहा जा सकता है कि भविष्य में वे ऐसी बातें न करें.
आपको बता दें कि पिछले दिनों इस मामले में प्रशांत भूषण ने माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया था. उनका कहना था कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वे माफ़ी मांगेंगे तो यह उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सबसे ज़्यादा विश्वास रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने बयानों पर फिर से विचार करने और बिना शर्त माफ़ी माँगने को कहा था, लेकिन प्रशांत भूषण से इससे इनकार कर दिया था.
प्रशांत भूषण ने क्या अपराध किया है?
प्रशांत भूषण ने 2 ट्वीट किए हैं. 63 वर्षीय प्रशांत भूषण को उनके दो ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि ‘भूषण के ट्वीट्स से सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को धक्का लगा है.’ भूषण ने दो जून 2020 को अपने ट्वीट्स में मुख्य न्यायाधीश पर टिप्पणी की थी. साथ ही उन्होंने कुछ अन्य न्यायाधीशों की आलोचना की थी. प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ अदालत की अवमानना के एक अन्य मामले में सुनवाई एक अन्य बेंच करेगी. ये मामला वर्ष 2009 का है, जब तहलका पत्रिका को दिए इंटरव्यू में प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों पर टिप्पणी की थी.
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