पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नहीं रहे वह काफी दिनों से कोमा में थे. सर्जरी के बाद डीप कोमा में चले गए थे और आर एंड आर अस्पताल रोज़ाना उनके स्वास्थ्य की जानकारी दे रहा था.
84 वर्ष की आयु में सेना के आर एंड आर अस्पताल में देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है. उन्होंने देश के वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री जैसे पदों की ज़िम्मेदारी भी संभाली थी. एक ब्लड क्लॉट के कारण उनके दिमाग़ की सर्जरी की गई थी और 10 अगस्त को उन्होंने ट्वीट करके घोषणा की थी कि वो कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. सोमवार को शाम पौने छह बजे के क़रीब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे और पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट करके उनकी मौत की पुष्टि की.
देश के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट करके पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख जताया है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रणब दा को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा यह देश के लिए अपूरणीय क्षति है.
प्रणव दा का सफर
- राजनीति में आने से पहले प्रणब दा देशर डाक (मातृभूमि की पुकार) मैगजीन में पत्रकार रहे
- प्रणब मुखर्जी 5 बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए। 2 बार लोकसभा सांसद बने। 77 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने
60 साल के राजनीतिक जीवन में प्रणब दा ने कई सारी जिम्मेदारियां निभाईं. उन्होंने विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्त मंत्रालय का काम देखा. वे 5 बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए। 2 बार लोकसभा सांसद बने. 77 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने.
उन्होंने 1963 में कलकत्ता के पोस्ट और टेलीग्राफ ऑफिस में एक अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने विद्यानगर कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाया भी. राजनीति में आने से पहले देशर डाक (मातृभूमि की पुकार) मैगजीन में पत्रकार रहे.
राजनीति से कैसा रहा प्रणब दा का रिश्ता?
- 1969 में इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी की काबिलियत को पहचाना और कांग्रेस ज्वाइन करने का ऑफर दिया। प्रणब इसे ठुकरा नहीं पाए। इसी साल इंदिरा गांधी की मदद से वे राज्यसभा सदस्य बने। इसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए चुने गए।
- 1973 में इंदिरा गांधी की कैबिनेट में पहली बार मंत्री बने। उन्हें राजस्व और बैंकिंग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था।
- प्रणब पहली बार इंदिरा गांधी की सरकार में 15 जनवरी 1982 से 31 दिसंबर 1884 तक वित्त मंत्री रहे। तीन बार बजट पेश किया। इसके बाद मनमोहन सिंह की सरकार में 24 जनवरी 2009 से 26 जून 2012 तक वित्त मंत्री रहे। चार बार बजट पेश किया।
- प्रणब ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया। हालांकि, 1989 में पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया।
- 10 फरवरी 1995 से 16 मई 1996 तक विदेश मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद 24 अक्टूबर 2006 से 22 मई 2009 तक मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री रहे।
- सोनिया गांधी ने 15 जून 2015 को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया। इसका ऐलान सोनिया गांधी ने किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, शरद पवार और पी चिदंबरम मौजूद थे।
- 25 जुलाई को 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। तब चीफ जस्टिस रहे एसएच कपाड़िया ने मुखर्जी को शपथ दिलाई। वे 25 जुलाई 2017 तक इस पद पर रहे।
- 8 अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया.
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