भारत में आर्थिक मंदी इस पूरे साल बरकरार रहने वाली है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक पोल के मुताबिक़ भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति में इस साल भी सुधार होने की उम्मीद नहीं दिख रही है.
भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मई में 20 लाख करोड़ के आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की थी. भारतीय रिज़र्व बैंक भी मार्च से ब्याज़ दरों में 115 बेसिस पॉइंट्स की कमी कर चुका है. इससे संकेत मिलते हैं कि महामारी के कारण कारोबारों और रोज़गार पर पड़े बुरे प्रभाव से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए और क़दम उठाने की ज़रूरत है. ऐसे में रॉयटर्स का पोल कहता है कि कोरोनावायरस ने भारत में आर्थिक गतिविधियों को पूरी तरह से धराशाई कर दिया है और 2021 से पहले इसके उभरने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं.
जाने-माने 50 अर्थशास्त्रियों ने किया है पोल
18-27 अगस्त के बीच 50 अर्थशास्त्रियों की ओर से किए गए इस पोल के मुताबिक, उस दौरान भारतीय अर्थव्यस्था लगभग 18.3 प्रतिशत सिकुड़ गई. पिछले पोल में इसके 20 फ़ीसदी घटने का अनुमान था, ऐसे में ताज़ा पोल का आकलन थोड़ा बेहतर है. मगर 1990 के दशक के मध्य से (जब से तिमाहियों के आधिकारिक आंकड़े दर्ज किए जा रहे हैं) अब तक की यह सबसे ख़राब दर है. चालू तिमाही में अर्थव्यवस्था के 8.1 प्रतिशत और अगली तिमाही में 1.0 प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान है. यह स्थिति 29 जुलाई को किए गए पिछले पोल से भी ख़राब है. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में 2021 की पहली तिमाही में 3.0 प्रतिशत का सुधार होने की उम्मीद है. हालांकि, मार्च में ख़त्म हो रहे पूरे वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि दर को इससे ख़ास सहारा नहीं मिलेगा और वह 6 प्रतिशत से कम ही रहेगी.
बाकी देशों के मुकाबले भारत में तेजी से फैल रहा है कोरोना
भारत में कोरोना वायरस बाक़ी दुनिया के मुक़ाबले ज़्यादा तेज़ी से फैल रहा है. 33 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 60 हज़ार से ज़्यादा जानें जा चुकी हैं. कोरोना के कारण दूसरी सबसे ज़्यादा आबादी वाले इस देश में करोड़ों लोगों को घरों पर रहना पड़ा जबकि लाखों लोगों का रोज़गार छिन गया है. बढ़ती महंगाई और सरकारी खर्च बढ़ने के बीच सरकार की व्यापक आर्थिक नीति को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसका मतलब है कि ऐसा कुछ नज़र नहीं आता जो बाक़ी साल भी अर्थव्यवस्था को लगातार गिरने से बचा सके. कोरोना वायरस का फैलाव रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण पिछली तिमाही में देश के ज़्यादातर हिस्सों मे कारोबारी गतिविधियां पूरी तरह थम गई थीं.
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