Site icon Rajniti.Online

कोरोना संकट ने क्या शिक्षा का सत्यानाश कर दिया है?

कोरोना संकट के चलते भारत की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. JEE और NEET की परीक्षा को लेकर हो रहा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. और एक आंकड़ा यह भी कहता है कि करीब 61 फ़ीसदी छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की अपनी योजना को रद्द कर दिया है.

ब्रिटिश यूनिवर्सिटी रैकिंग एजेंसी Quacquarelli Symonds (QS) जो हर साल वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग का एलान करती है, उसने एक सर्वे किया है, जिसके मुताबिक 61 फीसदी भारतीय छात्र जो विदेश में पढ़ने की योजना बना रहे थे, उन्होंने अपनी पढ़ाई को एक साल के लिए टाल दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा 8 फीसदी छात्रों ने विदेश में पढ़ने के फैसले को बरकरार रखा और 7 फीसदी ने अपने प्लान को पूरी तरह रद्द कर दिया है. भावी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लेकर QS का सर्वे अभी जारी है और इसका लक्ष्य यह पता लगाना है कि छात्रों की योजनाओं पर महामारी का क्या असर हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में 66,959 छात्रों ने सवालों के जवाब दिए हैं, जिनमें से 11,310 भारतीय हैं.

ऑनलाइन क्लासेस से दूर भाग रहे हैं छात्र

भारतीय छात्रों के QS सर्वे के डेटा का हवाला दिया गया और कहा गया है कि इनमें से 49 फीसदी की योजना MBA, मास्टर्स और ग्रेजुएट डिप्लोमा लेवल पर पढ़ने की थी. इसके अलावा 19 फीसदी को मास्टर्स और पीएचडी लेवल और 29 फीसदी ग्रेजुएशन में पढ़ना चाहते थे. बाकी छात्र फाउंडेशन कोर्स, वोकेशनल एजुकेशन और ट्रेनिंग इंग्लिश लेंग्वेज स्टीज की प्लानिंग कर रहे थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग आधे भारतीय छात्र या 48 फीसदी अपने प्रोग्राम को ऑनलाइन नहीं पढ़ने चाहते हैं जिस पर महामारी की वजह से कई यूनिवर्सिटी काम कर रही हैं. यह एक वजह हो सकती है कि ज्यादातर छात्रों ने अपनी योजना को एक साल के लिए टाल दिया है. 

यह भी पढ़ें:

अपनी राय हमें rajniti.on@gmail.com के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |

Exit mobile version