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Janmashtami 2020: कोरोना काल में ऐसे करें कृष्ण की पूजा तो मिलेगा ज्यादा फल? जाने कब और किस शुभ मुहूर्त में मनाई जाएगी जन्माष्टमी?

11 अगस्त और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी मनाई जा रही है. हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखने के साथ ही भजन-कीर्तन और विधि-विधान से पूजा करते हैं. ज्योतिषियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय  रात 12 बजे अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र था.

12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है. पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी. जन्माष्टमी पर इस बार वृद्धि संयोग बन रहा है, जो अति उत्तम हैं. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के त्योहार के बाद भगवना का छठी पूजन कार्यक्रम भी धूमधाम से होता है। इस दिन कान्हा जी की छठी मनाई जाती है और मंदिरों में प्रसाद वितरण किया जाता है.

इस बार 11 अगस्त को जन्माष्टमी तिथि सुबह लग जाएगी, जो 12 अगस्त को सुबह 11 बजे रहेगी, वहीं रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को लग रहा है. ऐसे में सभी कंफ्यूज हैं कि 11 को पूजा औऱ व्रत करें या फिर 12 को. कई ज्योतिषियों ने इसके लिए बताया कि जब उदया तिथि हो यानी जिस तिथि में सूर्योदय हो रहा हो, उस तिथि को ही जन्माष्टमी मनाई जाती है. इसलिए इस बार ज्योतिषियों के अनुसार जन्माष्टमी का दान 11 अगस्त को और 12 अगस्त को पूजा और व्रत रखा जा सकता.

कृष्ण जन्म को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं और इस त्यौहार को पूरे देश में जोर-शोर से मनाया जाता है. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को जहां साधु-संत अपने तरीके मनाते हैं तो आम जनता इसको दूसरी तरह से मनाती है. जगह-जगह पर झांकिया सजाई जाती हैं तो महाराष्ट्र में दही-हांडी के खेल का आयोजन किया जाता है. मथुरा में ब्रज सहित समूचे देश और विदेश में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा, वहीं नन्दगांव में एक दिन पूर्व इसका आयोजन किया जाएगा जहां पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का बचपन व्यतीत हुआ था.  ब्रज के मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (janmashtami) का पर्व धूमधाम से मनाए जाने के बावजूद कोरोना वायरस संकट के चलते इसे इस बार सार्वजनिक रूप नहीं दिया जाएगा.

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