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कोरोना का कुचक्र भारत के सामने भयंकर मुसीबत ला रहा है?

दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत कोरोना के कुचक्र में फंसा हुआ दिखाई दे रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में सब कुछ ठीक होने की बात करते हैं लेकिन आंकड़े उनकी बात के साथ खड़े हुए दिखाई नहीं देते. एक तरफ कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद 16 लाख के पार हो गई है और दूसरी तरफ भारत का राजस्व घाटा जून तक पिछले तीन महीने में बढ़कर 88.52 अरब डॉलर हो गया है. यानी दोनों ही मोर्चों पर सरकार के सामने मुसीबत पड़ी है.

अर्थशास्त्रियों ने अप्रैल में शुरू हुए 2020/21 वित्तीय वर्ष में भारत के राजस्व घाटे का अनुमान जीडीपी का 7.5% लगाया था. इससे पहले सरकार का अनुमान 3.5% था. रॉयटर्स पोल में इस वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में 5.1% की गिरावट का अनुमान लगाया गया है.

रॉयटर्स पोल क्या कहता है?

कैसे बड़ी मुसीबत?

रक़म के रूप में यह गिरावट 18.05 अरब डॉलर है. ऐसा तब है जब सरकार तेल पर टैक्स लगातार बढ़ाती रही है. सरकार का खर्च मुफ़्त में अनाज और ग्रामीण रोज़गार पर बढ़ा है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि दो महीने के लॉकडाउन के कारण एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में टैक्स वसूली में भारी गिरावट आई है. ऐसे में सरकार सरकारी कंपनियों का निजीकरण कर राजस्व जुटाने की कोशिश कर रही है.

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की कमाई भी घटी

उधर भारत की टॉप रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन (आईओसी) के जून की तिमाही की कमाई में 47 फ़ीसदी की गिरावट आई है. कोरोना वायरस के कारण तेल की मांग में भारी कमी आई है. पहली तिमाही में भी इसकी कमाई में 41% की गिरावट आई थी.

कोरोना वायरस की महामारी के कारण दुनिया भर में लॉकडाउन लगा और इसके कारण तेल की मांग में भारी कमी आई है. आईओसी की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि इस साल अप्रैल में राष्ट्रीय स्तर पर लागू लॉकडाउन के कारण बिक्री बुरी तरह से प्रभावित हुई थी. प्लांट की पूरी क्षमता का भी इस्तेमाल नहीं हो पाया.

कोरोना से 16 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 35,747 लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले तीन महीनों में सरकार का खर्च 13% बढ़कर 8.16 ट्रिलियन रुपया हो गया है जो कि एक साल पहले 7.22 ट्रिलियन रुपया था.

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