केन्द्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy, NEP) 2020 को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में बुधवार को हुई यूनियन कैबिनेट की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया. सरकार का कहना है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत उच्च शिक्षा के लिए बड़े सुधार शामिल किए गए हैं, जिनमें 2035 तक 50 फीसदी ग्रॉस इनरॉलमेंट रेशियो और मल्टीपल एंट्री/एग्जिट भी हैं. इसके इतर आलोचक इस नीति को लेकर सरकार को घेर रहे हैं. उनका कहना है कि इसमें आरएसएस की सोच का असर है.
नई शिक्षा नीति को लेकर हुए व्यापक परामर्श में एक प्रमुख आवाज़ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की थी. आरएसएस से जुड़े कई लोग ड्राफ्टिंग की प्रक्रिया में शामिल थे. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, आरएसएस के पदाधिकारियों, कुछ बीजेपी शासित राज्य के शिक्षा मंत्रियों, सरकार के प्रतिनिधियों और नईपी की ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन के कस्तूरीरंगन के बीच बैठकें हुई थीं. लेकिन बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने जिस फाइनल पॉलिसी को मंज़ूरी दी, वो दिखाती है कि सरकार राजनीतिक मध्य मार्ग पर चली. आरएसएस की बड़ी मांगों से सरकार ने फिलहाल किनारा ही रखा. मिसाल के तौर पर नई शिक्षा नीति तीन-भाषा के फॉर्मूले पर बनी है. सरकार ने उस प्रावधान को हटा दिया, जिसमें निर्धारित किया गया था कि छात्रों को 6 ग्रेड में हिंदी को एक भाषा के तौर पर पढ़ना चाहिए. दरअसल राजनीतिक पार्टियों, मुख्य रूप से तमिलनाडु की पार्टियों ने इस प्रावधान का विरोध किया था. वो इसे “हिंदी” थोपना कह रहे थे.
विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए दरवाजे खुले
नई शिक्षा नीति के तहत भारत ने अब विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए अपने दरवाज़े खोल दिए हैं. दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय अब देश में अपने कैम्पस खोल सकेंगे. हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक़ ये नहीं कहा जा सकता कि ये बदलाव ज़मीन पर जल्द उतर पाएगा या नहीं, लेकिन कइयों को ये ज़रूर लगता है कि भारत में शीर्ष 200 विदेशी विश्ववविद्यालय खुलने से यहां की उच्च शिक्षा का स्तर भी बढ़ जाएगा. कई लोगों का ये भी मानना है कि इससे प्रतिभा पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, विदेश विश्वविद्यालयों को देश में लाने पर सरकार का मौजूदा रुख बीजेपी के पुराने उस स्टैंड से बिल्कुल उलट है, जो वो यूपीए-2 सरकार द्वारा विदेशी शिक्षण संस्थानों पर लाए गए (रेगुलेशन ऑफ एंट्री एंड ऑपरेशन) बिल 2010 पर रखती थी.
क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित होंगे ई कोर्स
यह भी फैसला किया गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ई कोर्स क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे, वर्चुअल लैब विकसित की जाएंगी और नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) का गठन किया जाएगा. बैठक के बाद प्रेस काफ्रेंस में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने बताया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 को मंजूरी देने के अलावा कैबिनेट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने का फैसला किया है. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के फीचर्स में सभी प्रकार की उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलेटर शामिल है. यह रेगुलेटर मंजूरियों के लिए विभिन्न इन्सपेक्शंस की बजाय सेल्फ डिस्क्लोजर आधारित पारदर्शी प्रणाली के तहत काम करने वाला होगा. उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे का कहना है कि नई शिक्षा नीति और सुधारों के चलते हम उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी का ग्रॉस इनरॉलमेंट रेशियो हासिल करेंगे. उन्होंने कहा कि अभी डीम्ड यूनिवर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी और विभिन्न इंडीविजुअल स्टैंडअलोन इंस्टीट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं.
कैसे मिलेगी क्वालिटी एजुकेशन?
नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में बेसिक साक्षरता और बेसिक न्यूमरेसी पर भी फोकस किया गया है. इसके तहत पाठ्यक्रम के शैक्षणिक ढांचे में स्ट्रीम्स का कोई अलगाव न रखते हुए बड़ा बदलाव किया गया है. वोकेशनल व एकेडमिक और कुरीकुलर व एक्स्ट्रा कुरीकुलर के बीच की भिन्नता को भी हटाया जाएगा. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में इस बात पर जोर दिया गया है कि कम से कम कक्षा 5 तक सिखाने का माध्यम मातृभाषा या स्थानीय/क्षेत्रीय भाषा हो. लेकिन कक्षा 8 तक या उसके बाद यह प्राथमिकता आधार पर हो. सभी स्कूली स्तरों और उच्च शिक्षा स्तर पर संस्कृत को 3 लैंग्वेज फॉर्मूला के साथ विकल्प के रूप में पेश किया जाए.
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