‘हम दलित हैं, हमारे दुखों को दूर करने कोई नहीं आता. रोज डर के मारे जान जाती है क्योंकि घर आने जाने का जो रास्ता है वहां बारिश का पानी भर गया है. हमेशा डर बना रहता है कि पता नहीं कब, कहां कोई जहरीला जानवर हमें अपना शिकार ना बना ले’
बहराइच जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर तेजवापुर ब्लॉक पड़ता है. यूं तो पूरा जिला पिछड़ा हुआ है लेकिन जवाब इस ब्लॉक में पहुंचेंगे तो आपको पिछड़ापन कुछ ज्यादा ही दिखाई देगा. खासकर उन बस्तियों में जहां विकास भूल से भी नहीं पहुंचा. और ना ही किसी ने इन इलाकों में विकास पहुंचाने की कोशिश की.
यूं तो गांव देहात के इलाकों को सड़कों से जोड़ने के लिए कई योजनाएं हैं जिसमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना भी शामिल है लेकिन तेजवापुर इलाके के इस गांव में सड़क नहीं पहुंची. कारी पुरवा मजरे में रहने वाले लोग बताते हैं कि साहब बरसात के दिनों में रोज खौफ के साए में रहते हैं. हम दलितों के दुख में शरीक होने कोई नहीं आता. ना शासन को हमसे कोई मतलब है न प्रशासन को कोई फर्क पड़ता है.
महिलाएं, बच्चे या फिर गांव के बुजुर्ग सभी कमर तक पानी में घुसकर अपनी मंजिल तक पहुंचने को मजबूर हैं. ऐसा नहीं है कि इसको लेकर प्रशासन को दरखास्त नहीं दी गई. कारी पुरवा वालों ने दर्जनों बार अपने अपने इस दर्द के लिए मरहम की मांग की है. लेकिन किसी ने सुना नहीं. गांव वाले बार-बार यही कहते हैं कि यहां विकास सिर्फ इसलिए नहीं पहुंच रहा है क्योंकि यह दलित बस्ती है अगर किसी ऊंची जात वाले की बस्ती होती. तो आज यहां की ऐसी हालत ना होती.
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रिपोर्ट: सय्यद रेहान कादरी
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