राजधानी ढाका में बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन और पाकिस्तानी राजनयिक इमरान अहमद सिद्दीक़ी की एक लंबी मुलाकात हुई. कूटनीति के जानकार अब इस मुलाकात के मायने निकाल रहे हैं. जानकारों का कहना है कि भारत जब चीन और नेपाल में उलझा हुआ है तब पाकिस्तान और बांग्लादेश की नजदीकियां बढ़ रही हैं.
बात सिर्फ इस मुलाकात भर की नहीं है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच टेलीफोन पर एक लंबी बातचीत हुई है. शेख़ हसीना के प्रेस सचिव एहसानुल करीम ने कहा है कि दोनों नेताओं के बीच तक़रीबन पंद्रह मिनट लंबी बातचीत हुई. ऐसा नहीं है कि इमरान खान और शेख हसीना ने इससे पहले बातचीत नहीं की लेकिन यह बातचीत खास इसलिए है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश करीब आ रहे हैं. हाल के दिनों में पाकिस्तानी प्रेस में ये ख़बरें आ रही हैं कि तक़रीबन 50 साल पहले तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बनने वाले बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों ही अपने सर्द रिश्ते में गरमाहट लाने की कोशिश कर रहे हैं.
शेख हसीना और इमरान खान में बातचीत
शेख हसीना और इमरान खान की बातचीत के बाद पाकिस्तानी पीएमओ की ओर से जारी प्रेस रिलीज में यह कहा गया है की, बातचीत में इमरान ख़ान ने कोविड-19 और बाढ़ से बांग्लादेश में उपजे हालात के साथ-साथ ‘भारत के क़ब्ज़े वाले कश्मीर में मौजूद बुरे हालात पर अपने विचार रखे’ और शेख़ हसीना को पाकिस्तान आने का न्योता दिया. अब सवाल यह है कि क्या इन मुलाकातों और बातों का भारत के ऊपर कोई असर पड़ेगा? क्योंकि भारत इन दिनों चीन और नेपाल के बीच अपने रिश्तो में तल्खी से जूझ रहा है.
पाकिस्तान यह कहकर कि ‘दोनों का धर्म और संस्कृति एक हैं,’ बांग्लादेश से नज़दीकी बढ़ाने की इस कोशिश को मज़हबी रंग देने की भी कोशिश कर रहा है. जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के करीब आने से उन कट्टरपंथी ताकतों को ताकत मिलेगी जो हमेशा से भारत के खिलाफ रहे हैं. तकरीबन 50 सालों से भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते सामान्य नहीं रहे और इसकी एक बड़ी वजह सांस्कृतिक भिन्नता रही है. लेकिन अब पाकिस्तान जोर देकर ही कहता है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में काफी समानताएं हैं.
भारत के लिए खड़ी होगी मुश्किल
जानकारी अभी कहते हैं कि बांग्लादेश में एक धड़ा ऐसा भी है जो हमेशा से पाकिस्तान का पक्षधर रहा है. अगर दोनों देशों में एक बार फिर से नजदीकियां बढ़ती हैं तो यह धड़ा सक्रिय हो जाएगा और भारत के लिए मुश्किलें खड़ी होंगी. ढाका में भी दबे सुरों में कुछ व्यवसायिक हितों के ज़रिये पाकिस्तान से रिश्ते बेहतर बनाने की कोशिश को आगे बढ़ाने की बात हो रही है. हालांकि इस संबंध में कोई खुलकर बात करने को तैयार नहीं है. पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच मधुर होते रिश्ते को लेकर भारत को काफी सतर्क रहने की जरूरत है. क्योंकि हाल फिलहाल के दिनों में भारत के बांग्लादेश के साथ रिश्ते उतने सामान्य नहीं रहे. आपको बता दें की बांग्लादेश के अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट्स चीन को भी मिले हैं और चीन ने बांग्लादेश के माल को कई तरह के करों से छुटकारा देकर दोनों देशों के साझा व्यापार को भी बढ़ाया है. बांग्लादेश पाकिस्तान की तरह चीन के बेल्ट और रोड प्रोग्राम का भी हिस्सा है.
जानकारी अभी कहते हैं कि बांग्लादेश में मोदी सरकार द्वारा बनाए गए नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भी काफी नाराजगी है. लिहाजा पाकिस्तान इन हालातों का फायदा उठाकर बांग्लादेश से दोस्ती गांठना चाहता है. और अगर ऐसा हुआ तो इससे भारत के लिए एक और मोर्चे पर संकट खड़ा हो जाएगा.
यह भी पढ़ें:
- सिलिकॉन वैली पहुँचा JOIST, वैश्विक संबंधों को विस्तार देने की कोशिश!
- क्या खत्म हो गई है पीएम मोदी और ट्रम्प की दोस्ती?
- मुश्किल में बीजेपी नेता विकास गर्ग, गाज़ियाबाद कोर्ट ने कहा- “दोबारा जाँच करके रिपोर्ट पेश करे पुलिस” जानिए क्या है पूरा मामला?
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
अपनी राय हमें rajniti.on@gmail.com के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |