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अमेठी के इन सड़कों पर नासूर बने गड्ढे राहगीरों को दे रहे ज़ख्म, जिम्मेदार बेख़बर

अमेठी : जनपद की अधिकतर सडकें जिम्मेदारों की उदासीनता की शिकार हो चुकी हैं. सडकें अभी भी गड्ढा मुक्त नहीं हो सकीं हैं.

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बनी मुसाफिरखाना-पारा मार्ग के नासूर बने गड्ढे अब राहगीरों को ज़ख्म दे रहे हैं. ये सडकें विकास के खोखले दावों की पोल खोल रही हैं. जर्जर हो चुके इस मार्ग का आलम यह है कि यहां वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना तक दुश्वार हो चुका है. इन मार्गों पर आए दिन राहगीर गिरकर चोटिल होते रहते हैं. इसके बावजूद जिम्मेदार बेख़बर हैं. अर्से पूर्व निर्मित की गई सड़कों की आज तक मरम्मत तक नहीं की गई. क्षेत्र की सड़कें गड्ढों में समा गईं. सड़क गारंटी अवधि में होने के बाद भी ठेकेदार व अफसर मरम्मत कराने की सुध नहीं ले रहे हैं.

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बता दें कि मुसाफिरखाना से पारा मार्ग तक 4 करोड़ 60 लाख 66 हजार रुपए की अनुमानित लागत से 5.560 किमी सड़क का निर्माण साल 2016 में हुआ था. चार साल से कम समय में ही सड़क पर जगह-जगह गड्ढे चुके हैं. मुसीबत बनी इस सड़क पर आए दिन लोग गिरकर चोटिल हो रहे हैं. आज मार्ग की स्थिति यह है कि जगह-जगह जानलेवा गढ्डे हो गए हैं. इन्हीं गडढों में फंसकर आए दिन कोई न कोई दो पहिया वाहन फंसकर गिरता है. जबकि सड़क की गारंटी अवधि भी नहीं पूरी हुई है इसके बावजूद सुध लेने वाला कोई नहीं है. यही हाल क्षेत्र के अलग-अलग संपर्क मार्ग का भी है. 7 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर दर्जनों गांवों के लोगों का आवागमन होता है. ग्रामीणों की मांग पर सड़क का निर्माण भी कार्यदायी संस्था द्वारा कराया गया, लेकिन यह भी मार्ग अब लोगों के लिए दुखदायी साबित हो रहा है. ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर बड़े-बड़े पत्थर पड़े हुए हैं. इसी के बीच से लोग आवागमन कर रहे हैं. बता दें कि इस सड़क निर्माण के लिए बीते दिनों कांग्रेस एमएलएसी दीपक सिंह ने लोक निर्माण विभाग मंत्रालय, प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग व जिलाधिकारी सुल्तानपुर को पत्र लिखा था और सड़क बनवाने की मांग की थी.

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ग्रामीणों व राहगीरों ने बताया कि सड़क जर्जर होने की शिकायत आला अधिकारियों तक की जा चुकी है. इसके बाद भी सड़क का मरम्मत कार्य नहीं हो रहा है. अब सड़क से डामरीकरण भी गायब होने के कगार पर पहुंच चुका है. सड़क को देखकर इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता कि सड़क पर गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क. बरसात के मौसम में ये गड्ढे छोटे-छोटे पोखरे में तब्दील हो जाते हैं.

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रिपोर्ट : कुमैल रिज़वी

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