कोरोना वायरस की स्वदेशी वैक्सीन को आईसीएमआर और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी मिलकर बना रही है. आईसीएमआर ने उम्मीद जताई है कि भारत में बन रही कोरोना वैक्सीन 15 अगस्त तक लॉन्च हो जानी चाहिए.
आईसीएमआर 15 अगस्त तक लोगों को कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध कराना चाहता है. इसके लिए भारत बायोटेक भी युद्ध स्तर पर काम कर रही है. कोरोना को रोकने के लिए आईसीएमआर के ज़रिए बनाई गई वैक्सीन के फ़ास्ट-ट्रैक ट्रायल के लिए भारत बायोटेक कंपनी के साथ एक समझौता किया गया है. कोरोनावायरस से एक स्ट्रेन निकालकर इस वैक्सीन को बनाया गया है.
कुछ बहुत महत्वपूर्ण बातें:
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर ने उम्मीद जताई है कि भारत में बन रही कोरोना वैक्सीन 15 अगस्त तक लॉन्च हो जानी चाहिए.
- हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी के ज़रिए बनाई जा रही कोरोना वैक्सीन का नाम है-‘Covaxin’.
- भारत बायोटेक कंपनी ने ट्विटर के ज़रिए इस स्वेदेशी वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के बारे में 29 जून को जानकारी दी थी.
- स्वदेशी वैक्सीन को आईसीएमआर और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी मिलकर बना रही है.
- क्लीनिकल ट्रायल पूरा होने के बाद 15 अगस्त यानी भारत की आज़ादी के दिन इस वैक्सीन को आम लोगों के लिए लॉन्च किया जा सकता है.
- क्लीनिकल ट्रायल के लिए भारत के 12 संस्थानों को चुना गया है.
- ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल के पहले फ़ेज़ में एक हज़ार लोगों को चुना जाएगा. इसके लिए सभी अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स का पालन किया जाएगा.
- देश भर से उन लोगों को ट्रायल के लिए चुना जाएगा जो कोविड-फ़्री हों. उन लोगों पर क्या प्रतिक्रिया हुई इसको जानने में कम से कम 30 दिन लगेंगे.
- पहले फ़ेज़ के आंकड़ों को जमा करने में 45 से 60 दिन लगेंगे. ब्लड सैंपल ले लेने के बाद टेस्ट की साइकिल को कम नहीं किया जा सकता है.
- अगले तीन से छह महीने में हम बड़े पैमाने पर वैक्सीन बनाने के लिए स्वीकार्य योग्य आंकड़े हासिल करने का लक्ष्य.
- क्लीनिकल ट्रायल की प्रक्रिया नागपुर स्थित गिल्लुर्कर मल्टी-स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर चंद्रशेखर गिल्लुरकर को इस ट्रायल के लिए चुना गया है.
वैक्सीन पर जुदा है जानकारों की राय
हालांकि कोरोनावायरस की स्वदेशी वैक्सीन को लेकर मेडिकल जानकारों की राय अलग है. जानकारों का कहना है इतने कम समय में वैक्सीन का निर्माण संभव नहीं है. वैक्सीन बनाने के लिए कुछ बातों का पालन किया जाना अनिवार्य है. ह्यूमन ट्रायल के दौरान हम कुछ बेहद ज़रूरी चीज़ों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं. इन चीज़ों को नज़रअंदाज़ कर कोई वैक्सीन नहीं बनाई जा सकती है.
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