कानपुर एनकाउंटर: सियासी पोषण से दैत्य बना विकास दुबे, 15 अहम बातें
कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की जान लेने वाला विकास दुबे लगभग 2 दशकों से जिले में दहशत का दूसरा नाम बना हुआ था. सियासत को विकास दुबे रास आ रहा था और पुलिस भी उसे पकड़ने में हमेशा परहेज करती रही. और इसी का खामियाजा पुलिस को भुगतना पड़ा.
विकास दुबे क्राइम कुंडली
- कानपुर के चौबेपुर थाने में विकास दुबे के ख़िलाफ़ कुल साठ मुक़दमे दर्ज हैं. इनमें हत्या और हत्या के प्रयास जैसे कई गंभीर मुक़दमे भी शामिल हैं.
- विकास दुबे मूल रूप से कानपुर में बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरू गांव के रहने वाले हैं. गांव में उन्होंने अपना घर क़िले जैसा बना रखा है.
- हर राजनीतिक दल में विकास दुबे की पैठ है और यही वजह है कि आज तक उन्हें नहीं पकड़ा गया.
- 2002 में जब राज्य में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी, उस वक़्त विकास दुबे की तूती बोलती थी. तत्कालीन बसपा नेता अंटू मिश्रा का बेहद करीबी माना जाता था.
- पिता किसान हैं और ये कुल तीन भाई है जिनमें एक भाई की क़रीब आठ साल पहले हत्या कर दी गई थी. भाइयों में विकास दुबे सबसे बड़े हैं. विकास की पत्नी ऋचा दुबे फ़िलहाल ज़िला पंचायत सदस्य हैं.
- बिकरू गांव में पिछले 15 साल से निर्विरोध प्रधान बन रहे हैं जबकि विकास दुबे के परिवार के ही लोग पिछले पंद्रह साल से ज़िला पंचायत सदस्य का भी चुनाव जीत रहे हैं.
- बेटे हैं जिनमें से एक इंग्लैंड में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है जबकि दूसरा बेटा कानपुर में ही रहकर पढ़ाई कर रहा है.
- 2000 के आस-पास शिवली के तत्कालीन नगर पंचायत के चेयरमैन लल्लन वाजपेयी से विवाद के बाद विकास दुबे ने अपराध की दुनिया में क़दम रखा.
- क़रीब 2 दशक से अपराध की दुनिया से विकास दुबे का नाम जुड़ा हुआ है. कई बार उनकी गिरफ़्तारी भी हुई लेकिन अब तक किसी मामले में सज़ा नहीं मिल सकी है.
- 2001 में विकास दुबे पर थाने के अंदर घुसकर बीजेपी के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या करने का आरोप लगा.
- इस हत्याकांड में किसी पुलिस वाले ने विकास के ख़िलाफ़ गवाही नहीं दी. कोर्ट में विकास दुबे के ख़िलाफ़ कोई साक्ष्य नहीं पेश किया जा सका जिसकी वजह से उसे छोड़ दिया गया.
- 2000 में कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के मामले में नामजद हुआ.
- 2000 में ही विकास दुबे के ऊपर रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साज़िश रचने का आरोप भी लगा था. बताया जा रहा है कि यह साज़िश विकास ने जेल से ही रची.
- 2004 में एक केबल व्यवसायी की हत्या में भी विकास दुबे का नाम सामने आया.
- 2013 में भी विकास दुबे का नाम हत्या के एक मामले में सामने आया था. यही नहीं, साल 2018 में विकास दुबे पर अपने चचेरे भाई अनुराग पर भी जानलेवा हमला कराने का आरोप लगा.
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