सूर्य ग्रहण तब होता है, जब सूरज, पृथ्वी और चांद एक साथ सीधी रेखा में आ जाते हैं. इसमें चांद, सूरज और पृथ्वी के मध्य में होता है. इससे पृथिवी को आने वाली सूरज की कुछ रोशनी में रुकावट होती है जिससे एक परछाई बन जाती है और आकाश थोड़ा काला हो जाता है.
Solar Eclipse 2020: 21 जून को साल का पहला सूर्यग्रहण लग रहा है. यह ग्रहण वलयाकार होगा भारतीय समयानुसार, सुबह 9.15 बजे शुरू होगा और दोपहर 3.04 बजे तक जारी रहेगा. दोपहर लगभग 12:10 बजे यह अपने शीर्ष स्तर पर पहुंचेगा. इस सूर्यग्रहण में चांद सूरज के मध्य भाव को कवर कर लेगा और रिंग ऑफ फायर बनेगी. यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह का सूर्यग्रहण अब 1023 वर्ष बाद 3043 में लगेगा.
आप सोच रहे होंगे कि ये वलयाकार सूर्य ग्रहण क्या है? तो चलिए बताते हैं. वलयाकार सूर्यग्रहण न तो आंशिक ग्रहण होता है और न ही पूर्ण. चंद्रमा की छाया सूर्य का 99 फीसदी भाग ढक लेती है, जिस कारण सूर्य के किनारे वाले हिस्सा प्रकाशित रहता है और बीच का हिस्सा पूरी तरह से चांद की छाया से ढक जाता है. इस महा सूर्यग्रहण को एशिया, अफ्रीका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत और हिंद महासागर से देखा जा सकेगा. देश के कुछ भागों में यह पूर्ण रूप से दिखाई देगा. भारत में सबसे पहले राजस्थान के भुज में इसे देखा जा सकेगा. राजधानी दिल्ली की बात करें तो सूर्यग्रहण को केवल आंशिक रूप से सुबह 10.19 बजे से लेकर दोपहर 1.48 बजे तक देखा जा सकता है. हरियाणा के कुरुक्षेत्र, सिरसा, राजस्थान के सूरजगढ़, उत्तराखंड के देहरादून और चमोली में रिंग ऑफ फायर दिखाई देगा.
ग्रहण किसी ख़तरे का प्रतीक है
दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए ग्रहण किसी ख़तरे का प्रतीक है- जैसे दुनिया के ख़ात्मे या भयंकर उथल-पुथल की चेतावनी. हिंदू मिथकों में इसे अमृतमंथन और राहु-केतु नामक दैत्यों की कहानी से जोड़ा जाता है और इससे जुड़े कई अंधविश्वास प्रचलित हैं. ग्रहण सदा से इंसान को जितना अचंभित करता रहा है, उतना ही डराता भी रहा है. प्रकाश और जीवन के स्रोत सूर्य का छिपना लोगों को डराता था और इसीलिए इससे जुड़ी तरह-तरह की कहानियां प्रचलित हो गई थीं. सबसे व्यापक रूपक था सूरज को ग्रसने वाले दानव का.
देश के ज़्यादातर हिस्सों में लोग आंशिक सूर्य ग्रहण ही देख पाएंगे. कोलकाता में आंशिक सूर्य ग्रहण की शुरुआत सुबह 10:46 बजे होगी और ये 2:17 बजे ख़त्म हो जाएगा.
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