गांव गांव तक पहुंचे स्मार्टफोन ने ग्रामीण व्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया है. राजनीति हो या फिर सरकारी व्यवस्था सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि आप अगर गांव को प्रगति से जोड़ना है तो वहां तेज इंटरनेट की व्यवस्था करनी होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं बिहार के खगड़िया से ‘ग़रीब कल्याण रोज़गार अभियान’ योजना की शुरुआत करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया.
कोरोनावायरस ने वर्चुअल व्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया है. राजनीतिक पार्टियों को ऑनलाइन रैलियां करनी पड़ रही हैं. सरकारों को ऑनलाइन यानी वर्चुअल तरीके से योजनाओं की शुरुआत करनी पड़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की. उन्होंने जोर देकर कहा, कि “गांवों की ज़रूरतों को इस अभियान के ज़रिए पूरा किया जाएगा. साथ ही इसके तहत हर गांव को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जाएगा. शहरों की तरह गांव में भी सस्ता और तेज़ इंटरनेट होना ज़रूरी है. ताकि गांव के बच्चे भी अच्छे से पढ़ लिख सकें. देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब गांव में शहरों से ज़्यादा इंटरनेट इस्तेमाल हो रहा है. गांवों में इंटरनेट की स्पीड बढ़े, फ़ाइबर केबल पहुंचे इससे जुड़े काम भी होंगे. ये सारी योजनाएं, ये सारे काम गांव के लोग ही करेंगे.”
प्रधानमंत्री ने बिहार चुनाव से पहले रोजगार के लिए जिस गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत की है उसके तहत देश के 116 जिलों में 50000 करोड़ रुपए आवंटित करके शहर से गांव गए लोगों के लिए रोजगार का बंदोबस्त किया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा, ”ग़रीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत गांवों के विकास और रोज़गार के लिए 50 हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस राशि से गांवों में रोज़गार और विकास के लिए क़रीब 25 कार्य क्षेत्रों की पहचान की गई है. ये 25 प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो गांव की मूलभूत सुविधाओं से जुड़े हैं और गांव के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हैं.” उन्होंने कहा कि लोगों के हुनर की मैपिंग की जाएगी और उसी के आधार पर लोगों को काम दिया जाएगा, सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि इस महामारी के दौरान किसी को क़र्ज़ न लेना पड़े.
उन्होंने बताया, ”केंद्र सरकार के 11 मंत्रालयों की अलग-अलग योजनाओं के तहत छह राज्यों के 116 ज़िलों में रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे. एक अभियान बनाकर 125 दिनों तक लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है.”
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