किम यो जोंग को शायद आप नहीं जानते होंगे. चलिए बता दें. यो किम जोंग उन की चोटी बहन हैं. और इस वक़्त उत्तर कोरिया की सबसे मजबूत और ताकतवर महिला हैं. किम यो-जोंग पिछले कुछ वर्षों में उत्तर कोरिया की रहस्यमयी सत्ता में एक प्रमुख नेता बनकर उभरी हैं.
किम यो-जोंग साल 2018 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में तब आईं जब वो दक्षिण कोरिया जाने वाली किम वंश की पहली सदस्य बनीं. शीत ओलंपिक के दौरान वो एक शिष्टमंडल के साथ दक्षिण कोरिया गई थी. दक्षिण और उत्तर कोरिया ने एक संयुक्त टीम के रूप में शीत ओलंपिक में हिस्सा लिया था. इस साल अप्रैल में किम यो-जोंग एक बार फिर अपने भाई की करीबी सहयोगी और वरिष्ठ राजनीतिक भूमिका में नज़र आईं. अप्रैल में किम जोंग-उन अचानक ही कुछ हफ़्तों के लिए सार्वजनिक जीवन से दूर हो गए थे. इस दौरान उनके ‘ग़ायब’ होने की अटकलें लगाई जाने लगीं क्योंकि वो किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नज़र नहीं आ रहे थे. इन सबकी वजह से किम जोंग-उन की मृत्यु की आशंका भी जताई जाने लगी और किम यो-जोंग को उत्तर कोरिया की नई शासक और किम जोंग-उन के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा.
उत्तर कोरिया का भविष्य
किम यो-जोंग का राजनीतिक कद सबसे पहले अक्टूबर, 2017 में बढ़ा जब वो ताकतवर पोलित ब्यूरो की सदस्य बनीं. इससे पहले वो उस महकमे की उप निदेशक थीं जो किम जोंग-उन की सार्वजनिक छवि और नीतियों के प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभालता है. यो की शादी किम जोंग-उन के राइट हैंड और पार्टी के सेक्रेटरी चॉय रयोंग-हे के बेटे से हुई है. अगर ये बात सच है तो इससे किम यो-जोंग और ज़्यादा ताकतवर हैं.
किम यो-जोंग ने सीमा के पास बने कएसोंग में बने उत्तर और दक्षिण कोरिया के साझा दफ़्तर को ‘नष्ट करने’ की धमकी भी दी थी और मंगलवार को ऐसी ख़बरें आई कि उत्तर कोरिया ने सचमुच ये दफ़्तर उड़ा दिया है. 16 जून को कएसोंग में एक तेज़ धमाका सुनाई पड़ा और कार्यालय की इमारत से धुंआ उठता दिखाई दिया. दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने दफ़्तर नष्ट किए जाने की पुष्टि की है. दक्षिण कोरिया ने इस इमारत की मरम्मत के लिए लगभग आठ मिलियन डॉलर दिए थे.
आपको बता दें किम यो-जोंग किम जोंग-इल की सबसे छोटी बेटी हैं. उनकी, किम जोंग-उन और किम जोंग-चोल एक ही मां की संतानें हैं. किम जोंग-चोल, किम जोंग-उन और किम यो-जोंग के भाई हैं और राजनीति में उन्हें बहुत वरिष्ठ नहीं माना जाता. 1987 में जन्मी किम यो-जोंग अपने भाई किम जोंग-उन से उम्र में चार साल छोटी हैं. दोनों भाई-बहन ने बर्न (स्विटज़रलैंड) में साथ रहकर पढ़ाई की है.
भाई की कुर्सी संभालेगी बहन
किम जोंग-उन के बच्चे तो हैं लेकिन वो अभी काफ़ी छोटे हैं. ऐसे में चूंकि किम यो-जोंग परिवार की सदस्य हैं इसलिए, उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया मानती है कि किम जोंग-उन के बाद सत्ता की बागडोर उनके ही हाथों में होगी. हालांकि अगर किसी परिस्थिति में ऐसा हो कि उन्हें उत्तराधिकारी न चुना जाए तो नए नेता के लिए वो कड़ी प्रतिद्वंद्विता और स्पर्धा पेश करेंगी. अगर सत्ता परिवार के किसी और सदस्य के हाथ में नहीं आती है तो किम यो-जोंग के लिए चीज़ें काफ़ी आसान होंगी. या तो वो उत्तर कोरिया की सर्वोच्च नेता बनेंगी या शायद अपनी सारी ताकत खो देंगी. इस से पहले 2014 में भी किम यो-जोंग के हाथों में सत्ता की बागडोर देने की बातें सामने आई थीं.
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