कौड़ियों के भाव बिक रहा कच्चा तेल और आसमान छू रहे पेट्रोल-डीजल के दाम, मोदी जी कोरोना में भी जनता को लूटने का क्यों कर रहे हैं काम?
पिछले 6 दिनों की बात करें तो पेट्रोल के भाव में 3.31 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 3.42 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो चुका है. जबकि पिछले दिनों लॉकडाउन के चलते ब्रेंट क्रूड 20 डॉलर के नीचे आ गया था.
यहां सबसे पहले एक बात क्लियर होनी जरूरी है. और वह बात यह है की डिमांड बढ़ने के साथ-साथ कीमतें बढ़ी है. तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के आंकड़ों के मुताबिक, मई में तेल की कुल खपत 1.465 करोड़ टन रही, जो अप्रैल के मुकाबले 47.4 फीसदी ज्यादा है. हालांकि लेकिन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में यह मांग 23.3 फीसदी कम है. दूसरी ओर इंडियन क्रूड बॉस्केट यानी भारत के लिए कच्चे तेल की जो लागत होती है वह अप्रैल के 19.90 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले मई में 30.60 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई.
पिछले 6 दिनों की बात करें तो पेट्रोल के भाव में 3.31 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 3.42 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो चुका है. जबकि पिछले दिनों लॉकडाउन के चलते ब्रेंट क्रूड 20 डॉलर के नीचे आ गया था. जिससे तेल कंपनियों को बेहद सस्ते में क्रूड खरीदने का मौका मिला. उसके बाद भी आखिर कोरोना संकट के बीच ग्राहकों को क्यों राहत नहीं मिल रही है.
इंडियन आयल की वेबसाइट के अनुसार दिल्ली में पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 74.57 रुपये जबकि डीजल की कीमत 72.81 रुपये हो गई है. कोलकाता में 76.48 रुपसे प्रति लीटर, मुबई में 81.53 रुपये प्रति लीटर और चेन्नई में 78.47 रुपये प्रति लीटर हो गई है. जबकि इन शहरों में डीजल का भाव 68.70 रुपये, 71.48 रुपये और 71.14 रुपये प्रति लीटर है.
मार्च में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी में 3 रुपये प्रति लीटर का इजाफा कर दिया था. लेकिन तेल कंपनियों ने इसे ग्राहकों पर पास आन नहीं किया. दूसरा लॉकडाउन में ढील के बाद अचानक से पेट्रोल और डीजल की डिमांड बढ़ी है. रुपये में गिरावट से भी तेल कंपनियों की चिंता बढ़ी है. लॉकडाउन के बीच तेल कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा था, अब वे इसकी भरपाइ करना चाहेंगी.
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