कोरोना वायरस के चलते हजारों लोगों की नौकरियां चली गई हैं. शहर में जो युवा बीबीए और एमबीए करके नौकरी कर रहे थे. उन्हें गांव लौटना पड़ा है और गांव में मजदूरी करनी पड़ रही है. इस बेरोजगार युवाओं के सामने भविष्य को लेकर तमाम आशंकाएं हैं.
‘पॉलीटेक्निक से डिप्लोमा लिया और दिल्ली में एक कंपनी में सुपरवाइज की नौकरी करते थे. लेकिन कोरोना वायरस नौकरी छीन ली. अब हालात ये है कि गांव में आकर मनरेगा की तहत काम की तलाश कर रहे हैं.’ कानपुर देहात में रहने वाले राजेश ये कहते हुए अपनी चिंता जाहिर करते हैं. राजेश जैसे लाखों युवाओं का ऐसी ही समस्या का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना वायरस के बाद लाखों लोगों की नौकरी चली गई और वे अब बेरोजगार हो गए हैं, शहरों से वापस जाने के बाद कुछ लोग छोटा-मोटा काम तो कर रहे हैं लेकिन जो पैसे वे शहरों में कमाते थे उतने गांव में कमाना मुश्किल है.
कोरोना वायरस ना केवल जीवन को बल्कि आजीविका को भी बहुत तेजी से प्रभावित कर रहा है. लोग शहरों की नौकरी छूट जाने के बाद गांवों में छोटा-मोटा काम कर रहे हैं. कोरोना वायरस के भारत में फैलने के बाद हुए लॉकडाउन की वजह से कई कंपनियों को बंद करना पड़ा है. और इसकी वजह से लाखों युवाओं के सामने रोजगार का संकट मुंह फैलाए खड़ा है. ऐसा भी नहीं है कि महीने दो महीने में हालात पटरी पर लौट आएंगे. क्योंकि कई जानकार मानते हैं कि हाल फिलहाल में नई नौकरियां पैदा होने की संभावना कम ही है.
क्या कहते हैं जानकारी?
दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलेपमेंट के मुताबिक गांव में शहरों जितनी संभावनाएं और नई नौकरियां पैदा नहीं की जा सकती हैं. इतना ही नहीं गांव में युवाओं को उतना पैसा भी नहीं दिया जा सकता है जितना वो शहरों में कमाते हैं. गांव की बात छोड़ दीजिए छोटे शहरों में भी बड़े शहरों के मुकाबले आजीविका के साधन सीमित हैं. गांवों में बस लोग खाने-पीने और जिंदा रहने तक का जरिया ही निकाला जा सकता है. लेकिन यहां परेशान ये है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में सिर्फ 5 फीसदी कंपनियां ही नए लोगों को नौकरी पर रखने के बारे में सोच रही हैं. ये आकंड़ा मैनपॉवर ग्रुप के सर्वे का है.
नौकरी डॉट कॉम के मुताबिक भारत में मई महीने में नौकरी के लिए भर्ती में 61 फीसदी की भारी गिरावट देखी गई. यह लगातार दूसरा महीना है, जब हायरिंग एक्टिविटी में 60 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है. जॉब पोर्टल नौकरी डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक हायरिंग में मई में गिरावट होटल, रेस्तरां, यात्रा और एयरलाइंस उद्योगों, रिटेल क्षेत्र, ऑटो क्षेत्र में नकारात्मक दर्ज की गई है. इन सब बातों पर गौर करने पर ये साफ हो जाता है कि नई नौकरियां पैदा करना अभी मुश्किल है.
ये भी पढ़ें:
- सिलिकॉन वैली पहुँचा JOIST, वैश्विक संबंधों को विस्तार देने की कोशिश!
- क्या खत्म हो गई है पीएम मोदी और ट्रम्प की दोस्ती?
- मुश्किल में बीजेपी नेता विकास गर्ग, गाज़ियाबाद कोर्ट ने कहा- “दोबारा जाँच करके रिपोर्ट पेश करे पुलिस” जानिए क्या है पूरा मामला?
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
अपनी राय हमें rajniti.on@gmail.com के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |