एक सरकारी शिक्षिका ने एक साथ 25 सरकारी स्कूलों में ‘सेवाएं’ देते हुए 13 महीनों में एक करोड़ रु से ऊपर की सेलरी ले ली. इस चूक का खुलासा फरवरी 2020 में तब हुआ जब शिक्षकों का एक डेटाबेस बनाया गया.
आपने घोटाले तो बहुत देखे होंगे लेकिन ऐसा घोटाला नहीं देखा होगा. ऐसा घोटाला जिसमें एक सरकारी शिक्षिका 13 महीनों तक पूरे शिक्षा विभाग को चूना लगाती रही. और योगी आदित्यनाथ सरकार का तथाकथित सख्त शासन कान में कपास डालकर सोता रहा. उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक सरकारी शिक्षिका ने एक साथ 25 सरकारी स्कूलों में ‘सेवाएं’ देते हुए 13 महीनों में एक करोड़ रु से ऊपर की सेलरी ले ली. इस चूक का खुलासा फरवरी 2020 में तब हुआ जब शिक्षकों का एक डेटाबेस बनाया गया. इसके बाद से शिक्षिका गायब है. मामले की जांच चल रही है.
इस शिक्षिका का नाम अनामिका शुक्ला बताया जा रहा है. मैनपुरी की रहने वाली अनामिका की तैनाती कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में थी. ये बोर्डिंग स्कूल होते हैं जो निर्बल वर्ग की बालिकाओं के लिए चलाए जाते हैं. इन शिक्षकों को अपनी उपस्थिति एक ऑनलाइन पोर्टल प्रेरणा पर भरनी होती है. अब सवाल उठ रहा है कि यह शिक्षिका एक साथ अपनी मौजूदगी इतने सारे स्कूलों में कैसे दिखा रही थी.
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर होती है. उन्हें करीब 30 हजार रु प्रति महीने मिलते हैं. हर जिले के ब्लॉक में एक ऐसा विद्यालय होता है. विभागीय जांच में पाया गया कि अनामिका शुक्ला की तैनाती प्रयागराज से लेकर सहारनपुर यानी प्रदेश के पूरब से लेकर पश्चिम तक 25 विद्यालयों में दिखाई गई है. फरवरी में जब यह मामला खुला तो वह रायबरेली में तैनात थी. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह सब होता कैसे रहा? क्या वाकई में इस बारे में किसी को भनक तक नहीं थी? क्योंकि यह एक सरकारी शिक्षिका के अकेले करने का तो नहीं है.
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