अब खांटी नेताओं के दिन लग गए, और वो दिन भी लद गए जब नेता घर घर जाकर लोगों से वोट देने की अपील करते थे. अब जमाना ऑनलाइन हो गया है. और राजनीति भी ऑनलाइन हो गई है. कोरोनावायरस ने सब कुछ बदल कर रख दिया है और इसी का नतीजा है कि BJP बिहार में ऑनलाइन राजनीति करने वाली है.
कोरोनावायरस अपनी जगह है और चुनाव प्रचार अपनी जगह है. कोरोना आपदा की वजह से मची तबाही अपनी जगह है और चुनाव के दौरान लोगों के वोट हासिल करना अपनी जगह है. भारतीय जनता पार्टी देश के मौजूदा हालातों और चुनाव दोनों को अलग-अलग चश्मे से देखती है. यही कारण है कि यह पार्टी हमेशा चुनावी मोड में रहती है. भले ही भारत में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या दो लाख के पास पहुंच गई हो. लेकिन भारतीय जनता पार्टी जून के पहले हफ्ते से बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार शुरू करने वाली है.
कोरोना काल में भले ही गृहमंत्री अमित शाह घर से ना निकले हों लेकिन अब वो बिहार में चुनाव प्रचार के लिए तैयार हैं. बीजेपी ने राजनीति को ऑनलाइन करने की तैयारी की है. पीटीआई के मुताबिक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह नौ जून से प्रचार की शुरुआत करेंगे. वह वीडियो कॉन्फ्रेंस, फेसबुक लाइव के जरिए एक सभा को संबोधित करेंगे. बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सोमवार को यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि पार्टी ने इस वर्चुअल सभा की पूरी तैयारी कर ली है, ‘हमारा लक्ष्य इस वर्चुअल सभा में राज्य के 243 विधानसभा क्षेत्रों के कम से कम एक लाख लोगों को शामिल करना है.’
भाजपा नेताओं के मुताबिक नौ जून को होने वाली इस रैली के बाद बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का डिजिटल प्रचार अभियान शुरु हो जाएगा. इसके बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई बड़े नेता अलग-अलग तारीखों में वर्चुअल रैलियां करेंगे. पीटीआई के मुताबिक संजय जयसवाल ने यह भी बताया कि जेपी नड्डा की रैलियां दो भागों में होगी जिसमें पहले उत्तर बिहार और फिर दक्षिण बिहार को कवर किया जाएगा.
इसे कहते हैं रफ्तार, दूसरी पार्टियां जहां मजदूर और महामारी का ही जिक्र करती रहीं. बीजेपी ने बिहार चुनाव के लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली. भले ही केंद्र की बीजेपी सरकार कोरोना से निपटने की रणनीति तैयार न कर पाई हो लेकिन बिहार चुनाव फतह करने की रणनीति तैयार है. बिहार में विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं. भाजपा सबसे पहली बार 2005 में नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडीयू के साथ बिहार की सत्ता में आई थी. इसके बाद 2013 में दोनों दलों का गठबंधन टूट गया था. लेकिन, 2017 में दोनों दल एक बार फिर साथ आ गए.
बिहार में जेडीयू और आरजेडी के बीच इस बार मुकाबला कांटे का होने की उम्मीद है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी की नई रणनीति और मतदाताओं के साथ ऑनलाइन ट्रीटमेंट बिहार के क्षेत्रीय दलों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. और इस बदलती राजनीति में बाकी दलों को भी वर्चुअल और ऑनलाइन राजनीति करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा.
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