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GDP: बस ये मान लीजिए कि ‘मोदी काल’ में देश की अर्थव्यवस्था घुटनों पर आ गई है

GDP Data: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को मार्च तिमाही और वित्त वर्ष 2019-20 की आर्थिक विकास दर (GDP growth) के आंकड़े जारी किए. जनवरी-मार्च 2020 तिमाही में देश की GDP ग्रोथ रेट घटकर 3.1 फीसदी पर आ गई. वहीं, वित्त वर्ष 2019-20 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 4.2 फीसदी दर्ज की गई. वित्त वर्ष 2020 की चारों तिमाही में ग्रोथ रेट 5 फीसदी के दायरे में रही है.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जो जीडीपी के आँकड़े जारी किए हैं उनमें चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च तक का और पूरा वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक का अनुमान सामने रखा जा रहा है. दोनों ही आँकड़े आगे का हिसाब लगाने के लिए महत्वपूर्ण हैं. और जो आंकड़े आए हैं उसमें लॉकडाउन के 7 दिन शामिल है. तो इन आंकड़ों से हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था कितनी प्रभावित हुई है. लेकिन यह समझ आता है कि अर्थव्यवस्था घुटनों पर आ गई है.

इसके पहले साल भारत की अर्थव्यवस्था 6.1 परसेंट की रफ़्तार से बढ़ी थी. और क़रीब दस बारह साल से यह देश डबल डिजिट ग्रोथ यानी जीडीपी के दस परसेंट रफ़्तार से बढ़ने का सपना देख रहा है. बीते साल का जो अनुमानित आँकड़ा सामने आया है वो इस मोर्चे पर पिछले ग्यारह साल का सबसे ख़राब आँकड़ा है.

चार तिमाहियों में GDP ग्रोथ

Q1FY20: 5%
Q2FY20: 4.5%
Q3FY20: 4.7%
Q4FY20: 3.1%

(Source: CSO)

अक्टूबर से दिसंबर के बीच जीडीपी में 4.48% की बढ़त हुई थी. हालाँकि यहाँ भी क़रीब  दो साल से लगातार गिरावट दर्ज हो रही थी और यह तिमाही आँकड़ा भी पिछले सात साल का सबसे कमजोर आँकड़ा था. लेकिन जनवरी से मार्च के बीच तो ये रफ़्तार डेढ़ परसेंट से भी ज़्यादा गिरकर 3.1 परसेंट पर पहुँच गई. यह सिर्फ़ एक हफ़्ते के लॉकडाउन का असर  है कि पूरे तीन महीने का आँकड़ा बिगड़ गया.

Q4 में ही प्रभावित हुआ कामकाज 

इससे पहले, DPIIT की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल महीने में आठ कोर सेक्टर आउटपुट में 38.10 फीसदी की भारी गिरावट आई है. मार्च में इन आठ सेक्टर में केवल 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.  केयर रेटिंग्स का कहना है कि कई कंपनियां वित्त वर्ष के अंत में अपने टारगेट पूरे करने के लिए अपनी गतिविधियां बढ़ाती हैं. इससे वृद्धि के आंकड़ों को मदद मिलती है. लेकिन इस बार कोरोना के चलते भारत के मामले में मार्च के अंतिम सप्ताह कई तरह के प्रतिबंध रहे, खासकर सर्विस सेक्टर को लेकर.

अब सोच लीजिए कि जब अप्रैल, मई जून के आँकड़े आएँगे तो नज़ारा कितना लहूलुहान होगा. इन तीन में से दो महीने तो क़रीब-क़रीब सब कुछ ठप रह चुका है और अगले महीने भी कितना काम शुरू हो पाएगा इस पर सवालिया निशान लगा हुआ है. क्या हो सकता है कि इसकी एक झलक आज ही आए कोर सेक्टर के आँकड़ों में है.

अगली तिमाही का आँकड़ा तो अगस्त में आएगा लेकिन अनुमान यही है कि वो जीडीपी में भारी गिरावट दिखाने वाला है. जैसे इस बार सिर्फ़ एक हफ़्ते की बंदी का असर दिख रहा है, तब दो महीने या उससे ज़्यादा की बंदी का असर कितना भयावह होगा ये समझने के लिए किसी को अर्थशास्त्र पढ़ने की ज़रूरत नहीं है.

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