पाकिस्तान से आए दोनों कबूतर रिहा, नहीं साबित हुआ जासूसी का आरोप
रिफ्यूजी फिल्म में जावेद अख्तर साहब का लिखा एक गीत है, ‘पक्षी, नदियां, पवन के झोंके कोई सरहद न इन्हें रोके’, लेकिन आज के मौजूं में ये सच नहीं है क्योंकि पवन के झोंको तो नहीं लेकिन पक्षियों को सरहदें रोकती हैं और अगर ये नहीं रुकते तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है.
एक ऐसा ही मामला उस वक्त सामने आया जब जासूसी के आरोप में भारत ने दो पाकिस्तानी कबूतरों को गिरफ्तार कर लिया था. रायटर्स की खबर के मुताबिक, ये दोनों कबूतर पाकिसतान के एक मछुआरे के थे जिन्हें श्रीनगर में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के लिए जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया था. लेकिन शुक्रवार को श्रीनगर पुलिस ने इस दोनों कबूरतों को रिहा करते हुए कहा कि ये दोनों जासूस नहीं हैं.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शैलेंद्र मिश्रा के मुताबिक 28 मई को दोनों कबूतरों को रिहाई मिल गई. ये दोनों कबूतर निर्दोष हैं. इन कबूतरों के मालिक हबीबुल्लाह ने कहा है कि ‘ये दोनों बेजुबान पक्षी निर्दोष हैं और इन्हें पंजों में जिस छल्ले की बात की जा रही थी वो था ही नहीं.’ उन्होंने इस बात से भी इंकार किया कि ये पक्षी आतंकवादियों के लिए काम करते थे.
हबीबुल्ला सीमा से सटे इलाके में रहते हैं और उनके पालतू कबूतर रेस में हिस्सा लेते हैं. उनका कहना है कि कबूतरों के पैरों में लिखा कोड उनका मोबाइल नंबर है. आपको बता दें कि कश्मीर के बॉर्डर वाले इलाकों में कबूतरों की रेस काफी लोकप्रिय है और लोग इसमें बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं. ये रहने वाले लोग पक्षी पालते हैं और अपनी निशानी के तौर पर छल्ले, रंग और दूसरे चिन्ह इनके ऊपर बना देते हैं.
आपको बता दें कि इससे पहले 2016 में भी ऐसा ही कबूतर पकड़ा गया था जिसमें पैर में एक नोट लिखा हुआ था. जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जान से मारने की बात लिखी हुई थी. सीमा के संवेदनशील इलाकों में इस तरह से पक्षियों की आवाजाही भी संदेह के घेरे में रहती है और इसकी के लिए बेचारे कबूतरों को सेना ने अपनी गिरफ्त मे ले लिया था.
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