नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने थे उस वक्त उन्होंने देश से कई वादे किए थे 2020 में उनकी सरकार अपना एक कार्यकाल पूरा कर चुकी है और दूसरे कार्यकाल का 1 साल पूरा हो चुका है. लेकिन मई के महीने में जो आंकड़े आए हैं उससे यह सामने आया है कि आजादी के बाद से भारत में जो कभी नहीं हुआ मोदी काल में वो हो गया, हम बात कर रहे हैं भारत की अर्थव्यवस्था की जो लगातार ‘पाताल लोक’ में जा रही है.
देश में अबतक 68 दिन का लॉकडाउन हो चुका है. एस ऐंड पी ग्लोबल के मुताबिक एक महीने के लॉकडाउन से पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में सालाना जीडीपी में औसतन 3 फीसदी की कमी आने का अनुमान है. चूंकि भारत में एशिया के दूसरे देशों की तुलना में बंद की स्थिति अधिक कड़ी है, ऐसे में आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव ज्यादा व्यापक होगा. एस ऐंड पी ग्लोबल की अनुषंगी क्रिसिल का अनुमान है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 2020-21 में 5 फीसदी की गिरावट आएगी.
क्रिसिल के मुताबिक इससे पहले 28 अप्रैल को उन्होंने वृद्धि दर के अनुमान को 3.5 फीसदी से कम कर 1.8 फीसदी किया था. उसके बाद से स्थिति और खराब हुई है. उनका अनुमान है कि गैर-कृषि जीडीपी में 6 फीसदी की गिरावट आएगी. हालांकि कृषि से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है और इसमें 2.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान है. सरकार के 20.9 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज बारे में क्रिसिल ने कहा कि इसमें अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिये अल्पकालीन उपायों का अभाव है लेकिन कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं, जिनका असर मध्यम अवधि में देखने को मिल सकता है.
लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों पर बुरा असर: क्रिसिल
प्रवृत्ति के अनुसार इसमें वृद्धि का अनुमान है. कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं. सबसे पहले 25 मार्च से देशव्यापी बंद का एलान किया गया. बाद में इसे तीन बार बढ़ाते हुए 31 मई तक कर दिया गया. क्रिसिल के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही सबसे ज्यादा प्रभावित हुई. न केवल गैर कृषि कार्यों बल्कि शिक्षा, यात्रा और पर्यटन के साथ दूसरी सेवाओं के लिहाज से पहली तिमाही बदतर रहने की आशंका है. इतना ही नहीं इसका प्रभाव आने वाली तिमाहियों पर भी दिखेगा. रोजगार और आय पर प्रतिकूल असर पड़ेगा क्योंकि इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों को कामकाज मिला हुआ है.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को कहा कि भारत अब तक की सबसे खराब मंदी की स्थिति का सामना कर रहा है. उसने कहा कि आजादी के बाद यह चौथी और उदारीकरण के बाद पहली मंदी है जो सबसे भीषण है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में 5 फीसदी की गिरावट आने की आशंका है.
जून तिमाही में 25 फीसदी गिरावट की आशंका
क्रिसिल ने भारत के जीडीपी (GDP) के आकलन के बारे में कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में 25 फीसदी की बड़ी गिरावट की आशंका है.
उसने कहा कि वास्तविक आधार पर करीब 10 फीसदी जीडीपी स्थायी तौर पर खत्म हो सकती है. ऐसे में हमने महामारी से पहले जो वृद्धि दर देखी है, अगले तीन वित्त वर्ष तक उसे देखना या हासिल करना मुश्किल होगा.
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