कोरोना वायरस ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है. उद्योग धंधे ठप हो गए हैं और लोगों की नौकरियां चली गई हैं. इस वायरस की वजह से किए गए लॉक डाउन ने जिन सेक्टर को नुकसान पहुंचाया है उसमें रिटेल सेक्टर भी शामिल है जिसे पिछले 7 दिनों में 9 लाख करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा है.
कोरोना से हाहाकार: लॉकडाउन में दी गई ढील के बाद के पहले सप्ताह का विश्लेषण करते हुए कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा है कि देश में घरेलू व्यापार इस समय अपने सबसे खराब समय का सामना कर रहा है. पिछले सोमवार से लॉक डाउन में ढील देने के बाद से देशभर में दुकानें खुली हैं लेकिन उनमें केवल 5 फीसदी व्यापार ही हुआ है. केवल 8 फीसदी कर्मचारी ही दुकानों पर आए हैं.
रिटेल व्यापार में काम कर रहे लगभग 80 फीसदी कर्मचारी अपने मूल गांव जा चुके हैं और लगभग 20 फीसदी कर्मचारी, जो स्थानीय निवासी हैं वे भी वापस काम पर लौटने में ज्यादा इच्छुक नहीं हैं. दूसरी तरफ कोरोना से डर के कारण लोग खरीदारी के लिए बाजारों में नहीं आ रहे हैं.
रिटेल व्यापार पर बुरी मार
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि कर्मचारियों की कमी, परिवहन की अनुपलब्धता, ग्राहकों की लगभग न के बराबर उपस्थिति और व्यापारियों पर बहुत अधिक वित्तीय भार होने के कारण रिटेल व्यापार बेहद अनिश्चितता की हालत में है. वर्तमान समय में वित्त की तीव्र कमी के कारण निश्चित रूप से देश के खुदरा व्यापार पर बहुत बुरी मार पड़ेगी. देश का रिटेल व्यापार लगभग 7 करोड़ व्यापारियों द्वारा संचालित होता है जो 40 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है और लगभग 50 लाख करोड़ रुपये का सालाना कारोबार करता है. इस सेक्टर के करोड़ों व्यापारी अत्यधिक असुरक्षित स्थिति में हैं और केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा आर्थिक पैकेज के मामले में व्यापारियों की सरासर उपेक्षा के कारण संकट और गहरा गया है.
थोक बाजार सुनसान पड़ा है
लगभग 5 लाख अन्य राज्यों के व्यापारी दिल्ली के थोक बाजारों से माल खरीदने के लिए प्रतिदिन दिल्ली आते थे, लेकिन परिवहन की अनुपलब्धता के कारण दिल्ली के थोक बाजार पिछले एक सप्ताह सुनसान रहे. ट्रांसपोर्ट क्षेत्र पहले से ही परेशान है क्योंकि ट्रांसपोर्टर्स के पास श्रमिकों की बहुत कमी है और विशेष रूप से ड्राइवर जो इंट्रा सिटी, इंटर-सिटी या माल के अंतर-राज्य परिवहन के लिए माल की आवाजाही करते हैं, वे भी काम पर नहीं लौटे हैं.
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