बहराइच में कांग्रेस की आवाज़ बुलंद कर रहे युवा नेता अमरनाथ शुक्ला जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. 2013 में राजनीति से जुड़ाव होने से बाद से लेकर अभी तक वो लगातार अपने विधानसभा क्षेत्र पयासपुर में लोगों के बीच कांग्रेस की विचारधारा को पहुंचाने का काम कर रहे हैं. छात्र राजनीति से शुरुआत करके आगे बढ़े अमरनाथ शुक्ला को राहुल गांधी से अमेठी में हुई मुलाकात प्रेरित करती है. उन्हें उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के दिन बहुरेंगे. उनका कहना है कि बीजेपी की विकास विरोधी मानसिकता से लोग उकता गए हैं.
#TheCandidates: अमरनाथ शुक्ला अक्सर अपने सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. अभी हाल ही में उन्होंने माता सीता और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से जुड़ा हुआ पोस्ट किया था. जिसको लेकर उनके ऊपर मुकदमा भी हुआ था. अमरनाथ बताते हैं कि उनका राजनीति में आने क सिर्फ यही ध्येय है कि वो जनता की समस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाएं. राजनीति में आने और कांग्रेस में युवा नेताओं के भविष्य के सवाल पर वो कहते हैं कि,
‘मेरी राहुल जी से पहली मुलाकात अमेठी में हुई थी. 2013 में हम राहुल जी से मिले थे. वहां लोग राहुल जी से मिल रहे थे. उस वक्त मैं नया-नया जिलाअध्यक्ष निर्वाचित हुआ था. उस मीटिंग में मैंने राहुल जी से पूछा था कि पार्टी में मेरा भविष्य क्या है? मेरे इस सवाल पर राहुल जी ने जो जवाब दिया उसने मेरा दिल छू लिया. राहुल जी ने कहा कि “आज मैं आपके सामने खड़ा हूं क्योंकि मैं राजीव गांधी का बेटा हूं. लेकिन आप मेरे सामने खड़े हैं क्योंकि आपने अपने क्षेत्र में पसीना बहाया है मेहनत की है.” उन्होंने कहा कि “आपको राजनीति में कोई खींच के नहीं लाया. आप यहां किसी की सिफारिश से नहीं आए. आपको किसी केंद्रीय मंत्री या मंत्री ने यहां नहीं पहुंचाया. आप यहां हैं क्योंकि आप इसके हकदार हैं. अगर आप के अंदर काबिलियत है तो आपको कोई नहीं रोक पाएगा.” राहुल गांधी की इस बात ने मुझे कांग्रेस से जुड़ने और राजनीति में आने बढ़ने के लिए प्रेरित किया.
अमरनाथ शुक्ला बताते हैं कि वो अपने पयासपुर विधानसभा क्षेत्र में में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्गति को लेकर बहुत चिंतित हैं. उनका कहना है कि ‘हमारे यहां स्वास्थ्य सेवाएं बहुत खराब हैं. आपको बता दें कि बहराइच में 45 लाख लोगों की आबादी है. पास में नेपाल है, श्रावस्ती है. और सिर्फ एक अस्पताल है. जिला अस्पताल में भी बदहाली है और सीएचसी, पीएचसी की बात तो छोड़ ही दीजिए. हालात ये है कि मरीज भर्ती रहते हैं और रात में बिजली चली जाती है. और मरीज बेहाल हो जाते हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की तो हालत ही खराब है. हम तो यही चाहेंगे कि ये हालात सुधरें.
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मैं 2013 से राजनीति में हूं. मैं हमेशा से मुद्दे उठाते रहा हूं. मैं जब भी सीएचसी में जाता हूं तो व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठाते रहा हूं. इतना ही नहीं हमारे यहां सड़कें बहुत खराब हैं. गांव से जोडऩे वाली सड़कें बेकार हैं. जितने सरकारी डिग्री कॉलेज है सब बेकार हैं. रोजगार का कोई माध्यम नहीं है. युवा परेशान है.’ उन्होंने बताया कि जब भी समय मिलता है कि मैं लोगों से जुड़ता हूं. अमरनाथ पयासपुर विधानसभा क्षेत्र में ‘ग्रामीण संवाद’ कार्यक्रम चलाकर लोगों से जुड़ते हैं. उन्होंने बताया कि कि ‘ग्रामीण संवाद’ में हम अपने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर ग्रामीणों से बात करते हैं. विधवा पेंशन, राशन कार्ड या कोई और परेशानी हो हम लोगों की समस्याओं को दूर करने का काम कर रहे हैं. हम महीने हम ब्लॉक ज्ञापन देकर अपना विरोध दर्ज कराते हैं. जनता की मांगों को प्रशासन तक पहुंचाते हैं.
कोरोना वायरस और लॉकडाउन से जुड़े साल पर अमरनाथ शुक्ला ने बताया कि हमारे यहां किसान बहुत परेशान है. उन्होंने बताया कि पहले मौसम ने मारा और अब वायरस ने किसान को बेजार कर दिया है. पांच सौ रुपये में किसान का उद्धार नहीं होगा. किसानों के सामने बहुत चुनौतियां हैं. उनकी आधी फसलें नष्ट हो गईं हैं. किसान कर्जे में डूब रहे हैं. महिलाओं ने अपना जेवर गिरवीं रख दिया है. ऐसे में सरकार को किसानों से लिए कुछ बड़ा और सार्थक करना होगा.
उन्होंने कहा कि ‘जब हमारे जिले में कोरोना नहीं था तब भी हम जरूरतमंदों से मिलकर उनकी मदद करते थे. और अब भी हम उनकी मदद कर रहे हैं. जैसी भी मदद बन पड़ ही है हम मदद कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि ‘मैं कॉलेज के समय से ही राजनीति में आय़ा. मैं जब बचपन में न्यूज़ देखता था तो मैं राजनेताओं के बारे में जानना चाहता था. मैं भारतीय राजनीति और लोकतांत्रिक व्यवस्था के बारे में जानने समझने के लिए हमेशा उत्सुक रहा हूं. मैं राजनीति में लोगों के जुड़ने उनकी सेवा करने के साथ अपने सपनों को पूरा करने के लिए आया हूं.
ये रिपोर्ट #TheCandidates सिरीज़ का हिस्सा है. #TheCandidates की रिपोर्ट के ज़रिए हमारी कोशिश उन युवाओं के जीवन में झांकने की है जिन्होंने समाज की सेवा करने के लिए राजनीति करने का फैसला किया, जब राजनीति चंद नेताओं की चकाचौंध में सिमट गई है तब जमीन पर काम करने वाले नेता क्या कर रहे हैं .
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