‘राजनीति में जो बदलाव हुआ है. उसकी वजह से कभी-कभी मेरा मन करता है कि राजनीति छोड़ दूं. जिसके पास पैसा होता है, जो दबंग होता है वही आज की राजनीति में चल पाता है. परिस्थितियां ऐसी है कि जो बाहुबली होता है वही आदमी आज लाइमलाइट में होता है.’
TheCandidates: बहराइच में कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रहे प्रवीण पांडे जिले के महासी इलाके में काम कर रहे हैं. वो जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं लेकिन शिकायत ये है कि पॉलिटिक्स में पैर जमाने के लिए पैसा झोंकना पड़ता है. पिछले 6 सालों से राजनीति का कहकहरा सीख रहे प्रवीण ये अच्छी तरह जानते हैं कि उनके आगे की डगर आसान नहीं है. वो अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बताते हैं, ‘मैंने अपने पैसे जो कमाए थे उन्हें क्षेत्र में लगाया. बहुत से गरीबों की मैं मदद करता है. मैं जब क्षेत्र में जाता हूं लोगों की मदद करता हूं मैं वकालत करता हूं और सिविल कोर्ट में बैठता हूं.’
प्रवीण ने आज के राजनीतिक हालातों पर चर्चा करते हुए बताया कि मौजूदा दौर में कट्टरता बढ़ी है. उन्होंने बताया कि,
‘मेरे विधानसत्रा क्षेत्र यानी महासी में बहुसंख्यक दबे हुए हैं. वहां के ब्राह्मण जो हैं जिनकी संख्या करीब 90 हजार हैं. उनके ऊपर राजनीति का अजीब प्रेशर है. वो उनकी विचारधारा से मेल नहीं खाता. इसलिए वो हिन्दुत्व की प्रोपेंगेंडा पर काम करते हैं.’
प्रवीण पांडे के मुताबिक ‘कट्टरवादी विचारधारा बहुत खराब होती है. ये विचारधारा जहां पर आ जाती है वो खुद को ही खत्म कर देती है. और मौजूदा विचारधारा कट्टर है. मौजूदा राजनीति को को जो समर्थन मिला है वो विकास के आधार पर मिला है. मौजूदा सरकार कोई काम जमीनी स्तर पर नहीं करती है.’
प्रवीण कांग्रेस से कटते युवाओं के सवाल पर रहते हैं कि मैं अपने क्षेत्र की जानता हूं जहां मैं काम कर रहा हूं. मैं कांग्रेस पार्टी के लिए अपने क्षेत्र में जहां मेहनत कर रहा हूं. वहां मैं ये कह सकता हूं कि मेरे इलाके में पार्टी मजबूत रहेगी. मैं ये कह सकता हूं. जहां मैं काम कर रहा हूं वहां की जनता मुझे अपनाएगी. हमारे विधानसभा में कांग्रेस मजबूत है. 2017 में कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी. लोगों ने हमें समर्थन दिया है. हम जब अपने क्षेत्र में जाते हैं तो हम आम आदमी को वास्तिविता से रुबरू कराते हैं.’
प्रवीण ने बताया कि ‘हम पॉलिटिक्स में अपने परिवार की वजह से आए. क्योंकि हमारे परिवार में लंबे समय से प्रधानी रही है. दादा कायमपुर पतरौल ग्राम पंचायत के प्रधान हैं. उन्होंने बताया कि हमारा गांव घाघरा नदी में कट गया था. लेकिन हमारे दादा ने अपने पास से 40 बीघा जमीन देकर गांव बसाया था. ये बात और है कि उसके बाद हम प्रधानी का चुनाव हार गए थे. उन्होंने बताया कि परिवार की वजह से मैंने राजनीति में आने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि ‘मैं भले ही सक्रिय रूप से 6 सालों से राजनीति में हूं लेकिन मैं बचपन से ही राजनीति को जानता समझता आया हूं. मैंने बचपन से ही लोगों की मदद को वरीयता दी है. जब हमारा गांव कट गया तब हमने अपने संपत्ति से गांव बसाने के लिए दे दी.’
जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने के सवाल पर थोड़े हिचकिचाते हुए प्रवीण ने कहा कि देखिए! घर में हमारे प्रधानी है और मैं राजनीति में शुरुआत करने के लिए जिला पंचायत के चुनाव से शुरुआत कर रहा हूं. वो अपनी बात में ये भी जोड़ते हैं कि आज की राजनीति आसान नहीं है. तकनीक ने राजनीति को पूरी तरह से बदल दिया है.
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उन्होंने बताया कि ‘मैं तकनीक का बहुत इस्तेमाल नहीं करता. आज कांग्रेस पार्टी की जो स्थिति है वो तकनीक की वजह से है. सत्ता पक्ष ने इसी से कांग्रेस को हराया. कहीं न कहीं हमसे गलती हूई है. मैं तकनीक का बहुत इस्तेमाल नहीं करता. लेकिन मैं लोगों से मिलता हूं. और दुख दर्द में खड़ा रहता हूं. मैं राहुल गांधी से प्रभावित हूं क्योंकि वो कहते हैं की सामने वाला नफरत बांटे तो आप उसे प्यार दो. मैं जनता की सेवा करूंगा सीधी सी बात है. तकनीकि वाले इसका इस्तेमाल करते रहे.
ये रिपोर्ट #TheCandidates सिरीज़ का हिस्सा है. #TheCandidates की रिपोर्ट के ज़रिए हमारी कोशिश उन युवाओं के जीवन में झांकने की है जिन्होंने समाज की सेवा करने के लिए राजनीति करने का फैसला किया, जब राजनीति चंद नेताओं की चकाचौंध में सिमट गई है तब क्या कर रहे हैं जमीन पर काम करने वाले नेता.
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