लॉकडाउन के बीच भारत में लेबर रिफॉर्म की दस्तक
मध्य प्रदेश की शिवराज और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने श्रम कानून में सुधार की दिशा में कई अहम निर्णय किए हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने कॉटेज इंडस्ट्री यानी कुटीर उद्योग और छोटे कारोबारों को रोजगार, रजिस्ट्रेशन और जांच से जुड़े विभिन्न जटिल लेबर नियमों से छुटकारा देने की पहल की है.
कोरोनावायरस महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन के बीच भारत में लेबर रिफॉर्म की भी दस्तक हुई है. इसकी शुरुआत राज्य सरकारों की तरफ से की गई है. मध्य प्रदेश की शिवराज और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने श्रम कानून में सुधार की दिशा में कई अहम निर्णय किए हैं. कंपनियों और दफ्तरों में काम के घंटे बढ़ाने की छूट जैसे अहम फैसले भी किए गए. वहीं, यूपी सरकार ने राज्य में मौजूद सभी कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को वर्तमान में लागू श्रम अधिनियमों में सशर्त अस्थायी छूट प्रदान करने का फैसला किया है.
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कारखानों में 61 रजिस्टर और 13 रिटर्न भरने के पुरानी जरूरतों को खत्म कर दिया जाएगा. इसकी जगह पर केवल एक रजिस्टर और रिटर्न भरना होगा. रिटर्न फाइल करने के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन काफी होगा. इस कदम से कारोबारी सुगमता को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा है कि कारखानों और कार्यालयों में काम कराने की अवधि 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे की गई है. सप्ताह में 72 घंटे तक कार्य कराए जाने की अनुमति होगी. लेकिन इसके लिए श्रमिकों को ओवर टाइम देना होगा. राज्य सरकार ने रोजगार उपलब्ध कराने के लिए दो योजनाएं बनाई हैं. एक स्टार्टअप योजना जिसके तहत मनरेगा के अंतर्गत हमने 13 लाख मजदूरों को रोजगार दिया. हमनें निर्माण की बाकी गतिविधियां भी शुरू की हैं, जिससे रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं.
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा श्रम सुधार की दिशा में उठाए गए कुछ अन्य कदम इस तरह हैं—
- स्टार्टअप को अपने उद्योगों का केवल एक बार ही रजिस्ट्रेशन करना होगा.
- कारखाना लाइसेंस रिन्युअल अब हर साल के बजाय हर 10 साल में होगा.
- कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट के तहत कैलेंडर वर्ष की जगह अब लाइसेंस पूरी ठेका अवधि के लिए मिलेगा.
- नए कारखानों के रजिस्ट्रेशन अब पूरी तरह ऑनलाइन होंगे.
- दुकानों के लिए स्थापना अधिनियम में संशोधन किया गया है. अब प्रदेश में दुकानें सुबह 6 से रात 12 बजे तक खुली रह सकेंगी.
- 100 से कम श्रमिक के साथ काम करने वाले उद्योगों को औद्योगिक नियोजन अधिनियम के प्रावधान से मुक्ति. MSME अपनी जरूरत के हिसाब से श्रमिक रख सकेंगे.
- ट्रेड यूनियन व कारखाना प्रबंधन के बीच विवाद का निपटारा सुविधानुसार अपने स्तर पर ही किया जा सकेगा. इसके लिए लेबर कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी.
- 50 वर्कर्स से कम वाली फर्म्स में कोई इंस्पेक्शन नहीं होगा.
- छोटी व मंझोली फर्म्स में इंस्पेक्शन केवल लेबर कमिश्नर की मंजूरी या शिकायत दर्ज किए जाने के मामले में ही होगा.
UP में कारखानों को श्रम अधिनियमों से अस्थायी छूट
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 6 मई को मंत्रिमंडल की बैठक में कुछ अहम फैसले किए. इनमें यूपी में लागू श्रम अधिनियमों से अस्थाई छूट प्रदान किए जाने संबंधी अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दिया जाना भी शामिल रहा. कोरोनावायरस की वजह से राज्य में औद्योगिक गतिविधियों को बड़ा नुकसान हुआ है, इससे श्रमिक भी प्रभावित हुए हैं. औद्योगिक क्रियाकलापों व आर्थिक गतिविधियों को पुनः पटरी पर लाने के लिए निवेश के नए अवसर पैदा करने होंगे और प्रतिष्ठानों/कारखानों में औद्योगिक क्रियाकलापों व उत्पादन आदि को गति प्रदान करनी होगी. यूपी सरकार ने आगामी तीन वर्ष की अवधि के लिए राज्य में मौजूद सभी कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज को वर्तमान में लागू श्रम अधिनियमों में अस्थायी छूट प्रदान करने का फैसला किया है.