‘अप्रैल महीने के वेतन का भुगतान करना देश भर के व्यापारियों के लिए बेहद मुश्किल है. यदि व्यापारियों ने अप्रैल के महीने का अपने कर्मचारियों को वेतन दिया तो उनके व्यापार को तीव्र वित्तीय संकट झेलना पड़ेगा.’
कैट यानी कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर ये बात कही है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे एक पत्र में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने व्यापारियों द्वारा अपने कर्मचारियों को अप्रैल के वेतन का भुगतान करने में असमर्थता जताई है. कैट ने इस दिशा में सरकार से मदद की गुहार लगाई है. व्यापारिक समुदाय के लिए आर्थिक पैकेज का आग्रह करते हुए कैट ने रिटेल व्यापार द्वारा सामना किए जा रहे कुछ मुख्य मुद्दों की ओर वित्त मंत्री का ध्यान आकर्षित किया है.
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50% मदद मोदी जी दें
इस संदर्भ में कैट ने वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि सरकार के पूरा वेतन देने के पूर्व के निर्णय पर पुनर्विचार करे. बेहतर होगा अगर सरकार व्यापारियों को अपने कर्मचारियों के साथ वेतन के आपसी समझौते के अनुसार वेतन का भुगतान करने या व्यापारियों को 30% वेतन का भुगतान करने की अनुमति दे जो कर्मचारी की आजीविका के लिए पर्याप्त है. या फिर वैकल्पिक रूप से सरकार कर्मचारियों के वेतन के भुगतान में 50% योगदान करे, व्यापारी 25% योगदान दें और बाकी 25% कर्मचारियों द्वारा वहन किया जाए. वर्तमान परिदृश्य में जब कोई व्यापार ही नहीं हो रहा है और व्यापारियों पर अनेक प्रकार के कई वित्तीय दायित्व हैं तो न्याय की दृष्टि से इस गंभीर मुद्दे पर सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक है.
एक मांग ये भी है
कैट ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के तहत ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम के अंतर्गत 300 करोड़ रुपये से ऊपर के सालाना टर्नओवर वाली किसी भी खरीदार इकाई को दिए गए सामान के बिल का भुगतान विभिन्न एजेंसियों द्वारा डिस्काउंटिंग के रूप में किया जाता है. औसत व्यापारी इस योजना का लाभ उठाने में असमर्थ हैं क्योंकि उनके अधिकांश खरीदार उपरोक्त सीमा से बहुत कम का कारोबार करते हैं. कैट ने सुझाव दिया है कि एक वर्ष के लिए इस योजना के अंतर्गत 300 करोड़ रुपये की आवश्यकता को घटाकर 10 करोड़ रुपये तक लाया जाना चाहिए, जिससे अधिकांश व्यापारी अपने बिलों में छूट प्राप्त कर सकेंगे और उनके पास कुछ मात्रा में कार्यशील पूंजी उपलब्ध हो सकेगी.
मुद्रा लोन के तहत राशि हो 25 लाख
कैट ने कहा है कि लॉकडाउन के विकट समय में व्यापार पूरी तरह से बंद है और पूंजी का प्रवाह लगातार बढ़ रहा है. ऐसे समय में देश भर के व्यापारी बेहद परेशान व निराश हैं और अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं. भरतिया और खंडेलवाल ने आगे सुझाव दिया कि मुद्रा योजना को संशोधित करते हुए व्यापारी बैंकों से उचित ब्याज दर पर ऋण ले ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए और मुद्रा योजना के तहत अधिकतम राशि 10 लाख रुपये को 25 लाख रुपये तक बढ़ाया जाना चाहिए. गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों को मुद्रा लोन देने के लिए एक जनादेश दिया जाना चाहिए और बैंकों को इन एनबीएफसी को कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करने के लिए कहा जाना चाहिए.