सरकार को सिर्फ अप्रैल में ही 40 हजार करोड़ यानी करीब 530 करोड़ डॉलर का नुकसान होगा. बता दें कि पेट्रोलियम मिनिस्ट्री से मिलने वाला रेवेन्यू बजट राजस्व का करीब पांचवां हिस्सा है.
कोरोना वायरस के चलते देश में 40 दिनों के लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है. लॉकडाउन के चलते देशभर में तेल की मांग पर अंकुश लग गया है. इससे पेट्रोलियम में भारी गिरावट का अंदेशा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक मामलों के जानकार मान रहे हैं कि इससे सरकार को सिर्फ अप्रैल में ही 40 हजार करोड़ यानी करीब 530 करोड़ डॉलर का नुकसान होगा.
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अप्रैल में ईंधन उत्पादों की खपत में कम से कम 80 फीसदी की गिरावट आई है, जिससे 40,000 करोड़ रुपये ($ 5.3 बिलियन) का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है. इसका मतलब यह हुआ कि लॉकडाउन की वजह से सरकार को इस महीने तेल राजस्व के रूप में रोज 17.50 करोड़ डॉलर का नुकसान होगा.
भारत फ्यूल के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कंज्यूमर देश है. लेकिन देश भर में करीब 130 करोड़ की आबादी अभी लॉकडाउन से गुजर रही है. इससे जहां कारोबारी गतिविधियां बंद पड़ी हैं, लोगों के एक जगह से दूसरी जगह जाने पर भी पाबंदी लगी है. ऐसे में तेल की डिमांड निचले स्तरों पर पहुंच गई है. इसी वजह से तेल की कीमतें भी लगातार नीचे बनी हुई हैं.
भारत में, पेट्रोल और डीजल जैसे प्रमुख पेट्रोलियम ईंधन पर टैक्स पंप प्राइसेज का 50 फीसदी से अधिक बनता है. मुख्य रूप से इंडियन ऑयल कॉर्प और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन जैसी सरकारी कंपनियों के वर्चस्व वाले इस सेक्टर ने पिछले साल अप्रैल-दिसंबर के दौरान टैक्स और डिविडेंड के जरिए सरकारी खजाने में 3.8 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया था. तेल उत्पादकों को घटती आय का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में सरकार को हाई डिविडेंड भुगतान करने की उनकी क्षमता भी प्रभावित होगी.