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लेबर डे: यूपी सरकार से ऐसे लाभ ले सकते हैं कंस्ट्रक्शन वर्कर्स ?

यूपी सरकार निर्माण श्रमिकों यानी कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के​ लिए महात्मा गांधी पेंशन योजना चलाती है. इस पेंशन योजना का उद्देश्य भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार अधिनियम-1996 के तहत लाभार्थी के रूप में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को 60 साल की उम्र के बाद पेंशन का लाभ उपलब्ध कराना है.

लेबर डे: महात्मा गांधी पेंशन योजना के पात्र लाभार्थी/निर्माण श्रमिक के लिए पेंशन की शुरुआत प्रतिमाह 500 रुपये से है. पेंशन शुरू होने के अगले साल से पेंशन में 50 रुपये प्रति दो वर्ष की दर से अधिकतम 750 रुपये प्रतिमाह की दर से बढ़ोत्तरी करते हुए भुगतान किया जाता है. श्रमिक के 60 साल का होने से लेकर उसके जीवित रहने तक यह पेंशन मिलती है. पेंशन का भुगतान तिमाही आधार पर होता है. यह सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में आती है.

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फैमिली पेंशन का प्रावधान भी

अगर लाभार्थी श्रमिक की मौत हो जाती है तो इस योजना में पारिवारिक यानी फैमिली पेंशन का भी प्रावधान है. पारिवारिक पेंशन अधिक​तम 500 रुपये प्रतिमाह है और श्रमिक के जीवनसाथी को मिलती है. लेकिन इसके लिए उसे भी कहीं और से पेंशन प्राप्त नहीं होने और यूपी का ही मूल निवासी होने की शर्त है. लाभार्थी की मृत्यु की जानकारी के अभाव में अगर पेंशन की किस्त जारी हो जाती है तो आश्रितों से इसकी वसूली की जाती है. अगर पति-पत्नी दोनों श्रमिक हैं और दोनों महात्मा गांधी पेंशन योजना का लाभ ले रहे हैं तो एक की मृत्यु के बाद दूसरे को केवल उसी की पेंशन मिलेगी.

पात्रता शर्तें

आवेदन प्रक्रिया

पेंशन मंजूर किए जाने की प्रक्रिया

जिला स्तर पर निर्माण श्रमिक के पेंशन आवेदन को स्वीकार करने के लिए एक समिति होती है. इसका अध्यक्ष, जिलाधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी होता है. अपर/उप/सहायक श्रमायुक्त ‘सदस्य सचिव’ होता है और जिला समाज कल्याण अधिकारी सदस्य होता है. यह समिति हर तीन माह पर बैठक करती है और उस दौरान आए एप्लीकेशंस पर फैसला लेती है. लाभार्थी श्रमिक का दायित्व है कि वह हर साल अप्रैल में अपने जीवित होने का प्रमाण जिला श्रम कार्यालय में दे.

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