कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने के लिए दुनिया में कई देश लगे हैं. ऐसे में एक दवा के बारे में ये दावा किया जा रहा है कि वो कोराना को मार सकती है. अमरीका ने कोविड 19 बीमारी के उपचार के लिए रेमडेसिवियर दवा पर भरोसा जताते हुए कहा है कि इस बात के “स्पष्ट” सबूत मिले हैं कि ये दवा कोविड 19 के मरीज़ों को ठीक कर सकती है.
अमरीका के राष्ट्रीय एलर्जी और संक्रामक रोग संस्थान के प्रमुख डॉ. एंथनी फाउची ने कहा है कि ट्रायल के आँकड़े बताते हैं कि रेमडेसिवियर दवा कोविड 19 से जूझ रहे मरीज़ों के ठीक होने में प्रभावी साबित हो रही है. इस दवा के क्लिनिकल ट्रायल में ये बात सामने आई है कि दवा के प्रयोग से मरीज़ों में लक्षण 15 दिन की जगह 11 दिन के अंदर दिखने लग जाते हैं. इस दवा से लोगों की जान बचाने की क्षमता विकसित होगी, अस्पतालों पर बोझ कम किया जा सकेगा और कुछ जगहों पर लॉकडाउन हटाए जा सकेगा.
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इस दवा को दरअसल, इबोला के इलाज के लिए विकसित किया गया था. ये एक एंटीवायरल दवा है. कोई भी वायरस जब इंसानी शरीर में जाता है तो वह अपने आपको मज़बूत करने के लिए ख़ुद को रेप्लीकेट यानी अपनी दूसरी प्रतियां तैयार करता है. और ये इंसान के शरीर की कोशिकाओं में होता है. लेकिन इस प्रक्रिया में वायरस को एक एंजाइम की ज़रूरत होती है. ये दवा इसी एंजाइम पर हमला करके वायरस के रास्ते में एक तरह का रोड़ा बनती है.
अमरीका की ओर से इस दवा को लेकर जब ये जानकारी सामने आई है, तभी चीन में इसी दवा पर किए गए ट्रायल की रिपोर्ट लांसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है जिसके मुताबिक़, ये दवा अप्रभावी साबित हुई है. हालांकि, चीन में ये ट्रायल अधूरा रह गया था क्योंकि लॉकडाउन की सफलता की वजह से चीन में मरीज़ों की संख्या कम पड़ गई थी. कोविड 19 के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं होने की वजह से इस दवा को जल्द स्वीकृति मिल सकती है. लेकिन ये नतीजे ये भी बताते हैं कि रेमडेसिवियर कोई जादू की पुड़िया नहीं हैं. ऐसे में इससे लोगों के ठीक होने में कुल फायदा 30 फीसदी है.