कोरोन से लड़ाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड बनाया है. इस फंड में तमाम नामचीन हस्तियों और आम लोगों करोड़ों दान दिए हैं. लेकिन दिल्ली स्थित एम्स के डॉक्टरों ने पीएम केयर्स फंड में दान देने से इंकार कर दिया है.
एम्स प्रबंधन ने पीएम केयर्स फंड के लिए अपने डॉक्टरों का एक दिन का वेतन काटने का फैसला लिया था लेकिन डॉक्टरों ने इससे इंकार कर दिया है. दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने पीएम केयर्स फंड में अनुदान देने से असहमति जताई है. एम्स के रेजीडेंट डॉक्टरों के संगठन ‘आरडीए’ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रबंधन से उसके निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. आपका यहां जान लेना चाहिए कि इस समय आरडीए से करीब 2500 से ज्यादा डॉक्टर जुड़े हुए हैं.
ये भी पढ़ें:
- सिलिकॉन वैली पहुँचा JOIST, वैश्विक संबंधों को विस्तार देने की कोशिश!
- क्या खत्म हो गई है पीएम मोदी और ट्रम्प की दोस्ती?
- मुश्किल में बीजेपी नेता विकास गर्ग, गाज़ियाबाद कोर्ट ने कहा- “दोबारा जाँच करके रिपोर्ट पेश करे पुलिस” जानिए क्या है पूरा मामला?
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
पीएम केयर्स फंड का निर्माण कोरोना से लड़ाई के लिए किया गया है. और जो भी संकट के समय में दान कर रहा है वो इसी फंड में दान दे रहा है. लेकिन एम्स आरडीए के पदाधिकारियों ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा,
‘हम हमारे देश और देशवासियों को बचाने की खातिर आखिरी सांस तक ज़िम्मेदारी निभाएंगे. हम में से अधिकतर ने निजी स्तर पर दान भी दिया है. लेकिन यह निर्णय स्वैच्छिक होना चाहिए. इसे थोपा जाना नहीं चाहिए. एक महामारी या आपातकाल के नाम पर लोगों के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है. खासतौर पर इस समय स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों के अधिकारों का तो बिल्कुल नहीं.’
आरडीए ने एम्स प्रबंधन को कहा है कि, ‘स्वास्थ्यकर्मी इस समय अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात काम कर रहे हैं, इसलिए उनका वेतन काटने की बजाय उन्हें अतिरिक्त रिस्क अलाउंस का भुगतान किया जाना चाहिए.’
एम्स आरडीए के महासचिव श्रीनिवास राजकुमार ने कहा, ‘कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत पहले से ‘पीएम केयर फंड’ को दान दिया जा रहा है. पूरा देश इस समय दान कर रहा है. लिहाजा बेहतर यही होगा कि चिकित्सकों के दान का सीधा इस्तेमाल देश भर के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बेहतर पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्युपमेंट्स) और अन्य आवश्यक सुरक्षा सामाग्री खरीदने में किया जाए.’
एम्स प्रबंधन ने रेजीडेंट डॉक्टरों की मांग को ठुकराते हुए स्पष्ट कर दिया है कि चिकित्सकों के पैसों से अस्पताल में सामग्री खरीदने यानी उस दान के आंतरिक इस्तेमाल करने का कोई प्रावधान नहीं है. साथ ही सख़्ती दिखाते हुए एम्स प्रबंधन ने कहा है कि जो भी इस नेक उद्देश्य का हिस्सेदार नहीं बनना चाहता है उसे औपचारिक तौर पर इससे इनकार करना होगा.
इतना ही नहीं एम्स की तरह राम मनोहर लोहिया अस्पताल और अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के डॉक्टरों ने भी अपनी एक दिन की तनख्वाह को पीएम केयर्स फंड में दान देने पर नाखुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि पीएम केयर्स में दान देने का फैसला उनका होगा ना कि कोई और ये फैसला उनपर थोप दे. आपको बता दें कि पीएम केयर्स को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं. कई लोगों को कहना है कि प्रधानमंत्री राहत कोष के होते हुए एक नया फंड बनाने की क्या जरूरत थी.