हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन मलेरिया रोकने की दवा है. अमेरिका और ब्राजील ने भारत से ये दवा मंगाई है. शुरु में भारत ने इस दवाई के निर्यात की अनुमति नहीं दी थी लेकिन बात में भारत मान गया. लेकिन कई लोगों की चिंता ये है कि क्या भारत में इस दवाई की कमी हो सकती है?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोविड-19 के संभावित इलाज के तौर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा भारत से मंगवाई है. शुरु में उन्होंने भारत को धमकी दी और बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महान कहा. भारत ने इस दवाई के निर्यात का फैसला तो कर लिया है लेकिन भारत सरकार के इस फैसले से कई लोगों के मन में चिंता पैदा हो गई है. दरअसल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन मलेरिया रोकने की दवा है.
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इसे रूमेटॉयड अर्थटाइटिस और ल्यूपस जैसी ऑटो-इम्यून बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है. यहां आपको एक बात और पता होनी चाहिए कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) कोविड-19 के इलाज में कारगर है. लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति का मानना है कि ये दवाई गेमचेंजर साबित होगी.
बाजार से गायब हो रही है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन
जॉन हॉपकिंस ल्यूपस सेंटर ने इसे ल्यूपस लाइफ़ इंश्योरेंस के तौर पर परिभाषित किया है. भारत में हर रोज़ हजारों लोग इस दवा को लेते हैं. कोविड 19 से पहले तक इस दवाई के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं थी लेकिन अब हर कोई इसके बारे में जान रहा है. या जानना चाह रहा है.
इसकी दवाई की भारत में उपलब्धता को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश में इस दवाई की पर्याप्त उपलब्धता है. लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि भारत में मरीज इस दवा को लेकर परेशान हो रहे हैं. केमिस्ट शॉप्स से यह दवा गायब है. कई लोग ऐसे हैं जो इस दवाई को नियमित तौर पर लेते हैं. उन्हें ऐसा होने से परेशान हो रही है.
डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं मिल रही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन
स्वास्थ्य विभाग ने कह दिया है कि बिना डॉक्टर के पर्चे के बिना हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की बिक्री नहीं की जा सकेगी. यहां तक कि कोई भी शख्स पर्चे पर भी इस दवा का केवल एक पत्ता (10 टैबलेट्स वाला) ही ले सकेगा. स्टोर्स खंगालने और ऑनलाइन ऑर्डर भी इस दवा की बिक्री सामान्य तौर पर नहीं कर रहे हैं. तो क्या भारत में इसकी कमी हो रही है. इसका जवाब ये है कि भारत में इस दवाई की कमी अभी नहीं होगी क्योंकि भारत इसका सबके बड़ा उत्पादक है.
भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का दुनिया में सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर है. हाल में ही भारत ने इस दवा का निर्यात रोक दिया था. सरकार ने कहा था कि देशवासियों को इसकी पहले जरूरत है. लेकिन, मंगलवार को सरकार ने इसके निर्यात पर लगा बैन हटा दिया और कहा कि वह कोरोना वायरस से बुरी तरह से प्रभावित देशों को इसकी सप्लाई करेगा.
भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की कमी हो रही है?
इंडियन फ़ार्मास्युटिकल एसोसिएशन (आईपीए) ने कहा है कि भारतीयों को इस दवा की कमी को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए. ये दवा कोविड-19 के इलाज में काम आती है, लोगों ने इसकी ख़रीदारी और स्टॉक करना शुरू कर दिया. इस वजह से यह दुकानों से ग़ायब हो गई. लेकिन ये शॉर्टेज अस्थाई है क्योंकि सरकार लोगों को हड़बड़ाहट में इसकी ख़रीदारी करने से रोक रही है. बिना डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के इसे लेना ख़तरनाक हो सकता है. भारत में इप्का लैब्स और ज़ायडस कैडिला इस दवा के मुख्य मैन्युफैक्चरर हैं.
ये दोनों कंपनियां हर दिन इसकी 15 लाख टैबलेट्स बना सकती हैं. हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के लिए कच्चा माल देश में ही मिल जाता है और हमारे पास पर्याप्त स्टॉक भी है. इप्का लैब्स के पास ही 5 करोड़ टैबलेट्स का स्टॉक है. ज्यादातर राज्यों के पास भी 10-20 लाख टैबलेट्स का स्टॉक है. ऐसे में शॉर्टेज का कोई सवाल नहीं है. क्योंकि अमेरिका ने 3 करोड़ टेबलेट मांगी हैं जो भारत आसानी से दे सकता है.