कोरोना : ये दवाई आपको इस वायरस से बचा सकती है?
क्या कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज का इलाज हो सकता है? क्या कोरोना गर्मी बढ़ने पर खत्म हो जाएगा? ये वो सवाल है जो काफी पूछे जा रहे हैं. लेकिन राजस्थान का सवाई मानसिंह अस्पताल (एसएमएस) कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों के इलाज को लेकर चर्चा में है. यहां कोरोना से पीड़ित मरीजों को ठीक किया गया है.
जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव के तीन मरीज़ों को रेट्रोवायरल ड्रग से ठीक किया गया है. इन तीन मरीजों में दो इटली से जयपुर आए हैं और एक जयपुर का ही रहने वाला है. जयपुर के जिस मरीज को कोरोना संक्रमण हुआ है उनकी उम्र 85 साल बताई जा रही है. सवाईमानसिंह अस्पताल के डॉक्टरों को कहना है कि तीनों मरीजों की कोरोना रिपोट निगेटिव आई है. हालांकि डॉक्टरों इन तीनों मरीजों को अपनी निगरानी में आइसोलेशन में रखा है. एसएमएस अस्पताल के डॉक्टरों ने कोरोना का इलाज कैसे किया इसके बारे में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ डीएस मीणा ने बताया है कि नया ड्रग कैसे काम करता है.
कोरोना वायरस से कैसे निपटा?
कोरोना वायरस और एचआईवी वायरस का एक जैसा मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर होने के कारण मरीज़ों को ये एंटी ड्रग दिए गए हैं. एचआईवी एंटी ड्रग लोपिनाविर (LOPINAVIR) और रिटोनाविर (RITONAVIR) एंटी ड्रग देने का फ़ैसला वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम ने लिया. इसे रेट्रोवायरल ड्रग भी कहा जाता है. जिन मरीजों के ठीक होने का दावा किया जा रहा है उनका इलाज करने वाली डॉक्टरों का कहना है कि “SARS के मरीज़ों में भी इस ड्रग का इस्तेमाल पहले किया जा चुका है. कोरोना वायरस भी एक वायरस से फैलने वाली बीमारी है. कोरोना का वायरस इसी परिवार का वायरस है जो म्यूटेशन से बना है.”
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इसके लिए बाक़ायदा गाइडलाइन जारी कर कहा है कि किन मरीज़ों पर इस ड्रग का इस्तेमाल किया जा सकता है. सवाई मानसिंह अस्पताल मेंआईसीएमआर गाइडलाइन के तहत इस ड्रग का इस्तेमाल किया गया है. डॉ मीणा के मुताबिक़ गाइडलाइन में साफ़ कहा गया है कि ‘कॉमप्रोमाइज्ड’मरीज़ों में ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
‘कॉमप्रोमाइज्ड‘ मरीज़ कौन होते हैं?
कॉमप्रोमाइज्ड’ मरीज़ वो मरीज होते हैं जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर है और साथ में उन्हें डायबटीज़ हो, दिल की बीमारी हो. उन्हीं में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. कम उम्र वाले लोग जिन्हें बाक़ी किसी दूसरे तरह की परेशानी नहीं होती उन पर इस ड्रग का इस्तेमाल फ़िलहाल नहीं किया जा रहा है. राजस्थान में कोरोना के चार मरीज़ों में तीन इसी तरह के ‘कॉमप्रोमाइज्ड’ मरीज़ हैं. कोरोना वायरस पॉजिटिव से नेगेटिव हुए मरीज़ों के लिए डॉक्टरों की विशेष टीम का गठन किया गया है. इनकी निगरानी में ही आगे का इलाज जारी रखा गया है.
नए ड्रग के इस्तेमाल के बाद इटली निवासी महिला और जयपुर निवासी बुजुर्ग हालांकि कोरोना से तो नेगेटिव हैं. लेकिन लंग्स, डायबटीज़, हायपरटेंशन की दिक्कत उनमें अभी भी है. राजस्थान का चौथा मरीज़ कम उम्र का है, इसलिए शुरुआत में उन पर इस ड्रग का इस्तेमाल नहीं किया गया था.