दावोस 2020 : भारत के लिए WEF में क्या खास रहा?
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में हिस्सा लेने के लिए दुनियाभर के शीर्ष उद्योगपति, राजनेता और कुछ नामी चेहरे स्विट्ज़रलैंड के दावोस पहुंच रहे हैं. ये एक ऐसा मंच है जिसकी शुरुआत 1981 में दुनिया की स्थिति में सुधार के लिए की गई थी. इस बार भारत के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं.
दावोस 2020 में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप, जलवायु परिवर्तन के लिए आवाज़ बुलंद करने वाली किशोरी ग्रेटा थनबर्ग और उबर के मालिक दारा खोसकोवशाही का नाम भी मेहमानों की सूची में शामिल है. भारत की बात करें तो सरकारी एजेंसियों के मुताबिक़, वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम के 50वें सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का आयोजन हर साल दावोस के अल्पाइन स्काई रिजॉर्ट में किया जाता है. इसमें उद्योगपतियों को पर्सनल मीटिंग का मौका मिलता है जिससे वो अपने देश में निवेश और विभिन्न प्रकार के कारोबारी सौदे करने में कामयाब होते हैं.
दावोस 2020 में क्या होगा खास?
अगर दावोस 2020 की बात करें तो अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप इस साल इस फ़ोरम के मुख्य आकर्षण होंगे जिन्होंने पिछले साल इसमें शिरक़त नहीं की थी. साथ ही दुनिया की सबसे कम उम्र की सक्रिय प्रधानमंत्री फिनलैंड की सना मरीन भी सम्मेलन को संबोधित करेंगी. भारत के लिहाज़ से बेशक दीपिका पादुकोण एक ज्यादा पहचाना नाम है. इस सम्मेलन में वो भी शामिल होंगी. वहीं इसी बीच ग्रेटा थनबर्ग भी जलवायु परिवर्तन के बारे में अपना संदेश दे सकती हैं.
हाई प्रोफ़ाइल लोग कई बार इस मंच का इस्तेमाल ग्लोबल एजेंडे की तरफ़ लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी करते हैं. इस सम्मेलन में लगभग 3000 लोग शामिल होते हैं और लगभग हर तीसरा शख़्स व्यापार जगत से ताल्लुक रखने वाला होता है. अगर आपको इस सम्मेलन में शामिल होने का न्योता मिलता है तो ये आपके लिए एकदम फ्री है लेकिन अगर आप वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम के सदस्य हैं तो ही आप इसमें शामिल हो सकते हैं जिसकी लागत क़रीब चार लाख अस्सी हज़ार पाउंड हो सकती है.
विश्व स्तरीय नेता, संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख नेतृत्वकर्ता और यूरोपीय संघ के ख़ास नेताओं के साथ इसमें विश्वस्तरीय कंपनियों के मालिक शामिल होते हैं. इसके अलावा नियमित मेहमानों में अरबपति फाइनेंसर जॉर्ज सोरोस, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, फ़ेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग और यू 2 गायक बोनो भी शामिल हैं. इस फोरम में ब्रिटेन से केवल 239 लोग ही इसमें शामिल होंगे. साल 2010 के बाद से फ़ोरम में शामिल हो रहे लोगों का ये सबसे कम आंकड़ा है. भारत पर कई देशों की निगाह होगी क्योंकि भारत बड़ा बाजार भी है और दुनिया भारत की तरफ बड़ी उम्मीद से देख रही है.
दावोस फोरम से क्या मिलता है?
1988 में तुर्की के प्रधानमंत्री तुर्गुत ओज़ाल और ग्रीस के आंद्रेयास पापांड्रेउ के बीच हुई बैठकों ने युद्ध टालने में मुख्य भूमिका निभाई थी. इसके अलावा साल 2000 में ‘ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइज़ेशन’ ने इस सम्मेलन का इस्तेमाल लाखों बच्चों को बीमारी से मुक्त करने के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत करने के लिए किया था.