क्या आम बजट में आयकर कम कर सकती है मोदी सरकार?
फरवरी में आम बजट आने वाला है. ये मोदी सरकार पार्ट-2 का अहम बजट होगा. अर्थव्यवस्था को लेकर आ रहे नकारात्मक संकेतों के बीच ये बजट पेश किया जाएगा. इस बजट में क्या सरकार आयकर कम कर सकती है. इसको लेकर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय में अगले बजट की तैयारी शुरु हो चुकी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट से पहले लगातार बैठकें कर रही हैं. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक की है. बजट की तैयारी के साथ आने वाले बजट की संभावनाओं की भी चर्चा शुरु हो गई है. बजट के आकलन से जुड़ी चर्चाओं में सबसे महत्वपूर्ण चर्चा आयकर की है. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मध्य वर्ग को राहत दे सकती हैं.
आर्थिक सुस्ती में डूबे देश को राहत देने के लिए सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है. ये इसलिए भी किया जा सकता है कि क्योंकि लोग पैसा खर्च नहीं कर रहे हैं. सरकार को लग रहा है कि इसलिए, सरकार मध्य वर्ग को आयकर में राहत देकर चाहती है कि वह पैसा खर्च करे. मध्य वर्ग के खर्च करने से खपत में तेजी आएगी और आर्थिक गतिविधियां तेजी पकड़ेंगी. सिद्दांत के तौर पर यह बात ठीक है और इसमें सूत्रों के हवाले से मिली जानकारियों को मिला देने के बाद इस बात की संभावना जताई जा रही है कि सरकार आयकर के मोर्चे पर राहत दे सकती है.
देश में पिछले एक साल में आर्थिक सुस्ती गहरा चुकी है. इसलिए मोदी सरकार लोगों का खर्च बढ़ाने के लिए आयकर में कटौती का प्रयोग कर सकती है. यह बात सही तो है. लेकिन, इसके साथ कुछ दूसरी बातें भी हैं. आर्थिक सुस्ती के कारण सरकार का राजस्व गिरा है. जीएसटी के कलेक्शन में कमी आई है. इसके अलावा मंदी से निपटने के लिए प्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर सरकार ने कंपिनयों को कॉरपोरेट टैक्स की छूट भी दी है. इसके चलते सालाना राजस्व में सीधे-सीधे एक लाख 40 करोड़ रूपये की कमी आई है. यानी सरकार सुस्ती से निपटने के लिहाज से आयकर में कटौती कर तो सकती है. लेकिन उसके पास विकल्प काफी सीमित हैं.
सीमित विकल्पों के बीच ही उसको कोई रास्ता तलाशना होगा. क्योंकि उसे राजकोषीय घाटे का भी ख्याल रखना है. यदि मोदी सरकार आयकर में कटौती करती है तो राजकोषीय घाटे के और बढ़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है. जानकारों के मुताबिक, इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.5 से 3.8 फीसद के बीच समेटने का लक्ष्य रख सकती है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकार ने इसे 3.3 फीसद तक नियंत्रित रखने का लक्ष्य रखा था जो पहले ही ज्यादा था.
बजट में कुछ चीजें हो सकती हैं. एक तो लोगों के खातों में सीधे पैसे पहुंचाएं जा सकते हैं. पीएम किसान योजना में कुछ बढोतरी की जा सकती है या ऐसी ही कोई अन्य योजनाओं लाई जा सकती है. बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में बड़े खर्चों की घोषणा कर सकती है. आयकल के जरिये मध्यम वर्ग को छूट दे सकती है. खबर ये भी है कि सरकार का एक खेमा आयकर में छूट देने के पक्ष में है.
लेकिन यहां ये बात भी समझनी होगी की अगर आयकर में छूट दी जाती है तो इसका फायदा सिर्फ तीन करोड़ आयकर देने वालों को ही मिलेगा. आयकर में कटौती पर कुछ और भी बातें है. प्रत्यक्ष कर पर गठित कमेटी ने इस सबंध में अपनी जो सिफारिशें दी थीं, वह कुछ यूं हैं: कमेटी के मुताबिक,
- 10 लाख तक की आय पर कर की सीमा दस फीसद होनी चाहिए.
- 10 से 20 लाख की आय पर 20 फीसद होनी चाहिए
- 20 लाख से दो करोड़ की आय पर 30 फीसद टैक्स होना चाहिए.
- दो करोड़ से ऊपर की आय पर कर 35 फीसद होना चाहिए.
अब आयकर के मौजूदा स्लैब को देखते हैं. अभी 2.5 लाख तक की आय कर मुक्त है. 2.5 से पांच लाख तक की आय पर पांच फीसद टैक्स लगता है, पांच से दस लाख की आय पर 20 फीसद और दस लाख से ऊपर की आय पर 30 फीसद. सरकार आयकर में राहत के प्रस्ताव पर कुछ इस तरह का भी विचार कर रही है कि टैक्स देने वालों को कम से कम 10 फीसदी कम टैक्स देना पड़े. यानी अगर आप सलाना एक लाख रूपये का टैक्स देते हैं तो आपको दस हजार का कम कर चुकाना पड़े. इसके लिए एक तरीका यह है कि आयकर के ढांचे को जस का तस रखते हुए आयकर से हर तरह के सरचार्ज हटा दिए जाएं. दूसरा तरीका यह है कि आयकर के स्लैब में बदलाव किया जाए.