सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से बाहर होने के बाद क्या महेंद्र सिंह धोनी को संन्यास ले लेना चाहिए?
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अनुबंधित खिलाड़ियों की सूची से बाहर कर दिया है. बोर्ड के इस फैसले के बाद ये अटकलें लगाई जा रही है कि धोनी को अब संन्यास ले लेना चाहिए. धोनी ने विश्वकप 2019 के बाद से कोई अंतराष्टीय मैच नहीं खेला है.
भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को बीसीसीआई के केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों की सूची से बाहर कर दिया गया है. इसके बाद से धोनी के भविष्य को लेकर अटकलें फिर से तेज हो गई हैं. गुरूवार को बीसीसीआई ने अपने अनुबंधित खिलाड़ियों की नई सूची का ऐलान किया. इसमें धोनी पिछले साल तक ए-ग्रेड खिलाड़ियों में शामिल थे और उन्हें सालाना पांच करोड़ रूपये मिला करते थे.
अनुबंधों की नयी सूची में कप्तान विराट कोहली, उपकप्तान रोहित शर्मा और तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह पहले की तरह ही ए-प्लस ग्रेड में बने हुए हैं. इन तीनों को प्रति वर्ष सात करोड़ रूपये मिला करते हैं. महेंद्र सिंह धोनी बीते साल इंग्लैंड में खेले गए वनडे विश्वकप के बाद से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर हैं. उन्होंने अपनी भविष्य की योजनाओं पर भी पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है.
शानदार रहा है महेंद्र सिंह धोनी का करियर
धोनी एकमात्र कप्तान हैं जिन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को आईसीसी की तीनों ट्रॉफियां जिताई हैं. जिनमें 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 का क्रिकेट वर्ल्ड कप और आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी शामिल हैं. धोनी ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में कुल मिलाकर 90 टेस्ट मैच खेले और 38 से अधिक के औसत से 4876 रन बनाए हैं. टेस्ट करियर में उन्होंने छह शतक और 33 अर्धशतक जड़े हैं. वनडे में धोनी ने 350 मैच खेले और 50 से अधिक के औसत से 10,773 रन बनाए. वनडे में उनके नाम 10 शतक और 73 अर्धशतक शामिल हैं. टी-20 में धोनी ने 98 मैच खेले और 37 से अधिक की औसत से 1617 रन बनाए हैं. इसमें दो अर्धशतक शामिल हैं और उनका अधिकतम स्कोर 56 रन रहा है.
धोनी को सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से बाहर क्यों किया गया?
आपको याद होगा 2019 के नवंबर महीने में धोनी ने संन्यास को लेकर कहा था कि अगले साल जनवरी तक इंतजार कीजिए. इतना ही नहीं उसी महीने बीसीसीआई के चीफ सौरव गांगुली ने भी कहा था कि धोनी को लेकर बोर्ड की स्थिति एकदम साफ है. यहां एक बात समझ लेनी चाहिए कि धोनी का सेंट्रक कॉन्ट्रैक्ट से बाहर जाना ये तय नहीं करता कि वो टीम इंडिया में वापसी नहीं कर सकते. दरअसल सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट उन खिलाड़ियों को दिए जाते हैं जो साल में टीम के लिए ज़्यादा से ज़्यादा मैच खेलें.
चूँकि धोनी पिछले साल विश्व कप के सेमी फ़ाइनल के बाद से चयन के लिए उपलब्ध नहीं हैं. इस बात को क़रीब 6 महीने बीत चुके हैं. 2020 में भी उन्होंने मैदान में वापसी नहीं की है. इसीलिए उन्हें कॉन्ट्रैक्ट की लिस्ट से बाहर रखना पूरी तरह तर्कसंगत है. भारतीय टीम फ़िलहाल ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वनडे सिरीज़ खेल रही है. इसके बाद उसे न्यूज़ीलैंड दौरे के लिए रवाना होना है. जिसके लिए टीम का ऐलान हो चुका है. यानी धोनी अभी कम से कम दो महीने और मैदान से दूर रहेंगे.