ईरान और अमेरिका के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण मोड़ पर पहुंच गए हैं. दोनों देश जंग के मुहाने पर खड़े हैं. इराक की राजधानी बगदाद में ईरान के बहुचर्चित कुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी की हत्या ने दोनों देशों के बीच चल रहे संघर्ष को हवा दे दी है. जिसका परिणाम गंभीर हो सकता है.
कहा जा रहा है कि ईरान कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए अमेरिका को जवाब जरूर देगा. प्रतिशोध और प्रतिक्रियाओं की यह श्रृंखला दोनों देशों को सीधे टकराव के करीब ले आई है जिसके परिणाम गंभीर होंगे. लेकिन ईरान सुलेमानी का बदला लेने के लिए क्या करेगा ये कहा नहीं जा सकता. क्योंकि यह लगभग अकल्पनीय है कि ईरान इसके जवाब में कोई आक्रामक प्रतिक्रिया नहीं देगा. वर्तमान में ईराक के भीतर अमेरिका के पांच हजार सैनिक हैं और ईरान के निशाने पर ये सैनिक होंगे. क्योंकि अतीत में ईरान और उसके समर्थकों ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर ऐसा किया है.
क्या कर सकता है ईरान?
ईरान चुप बैठने वाला नहीं है और ऐसे समय में अमेरिका के साथ उसके सहयोगी भी बचाव पर ध्यान दे रहे हैं. अमेरिका ने ईराक की राजधानी बगदाद में अपने दूतावास में मदद भेज दी है. इतना ही नहीं इस पूरे इलाके में उसने अपने सैन्य बेड़ों की तादाद में भी इजाफा किया है. तो क्या अब ऐसे हालात बन रहे हैं कि ईरान और अमेरिका के बीच सीधी जंग होगी ? तो इसका जवाब ये नहीं क्योंकि ये जरूरी नहीं है कि ईरान एक हमले का जवाब दूसरे हमले से ही दे. माना जा रहा है कि इस बार ईरान की प्रतिक्रिया असंयमित होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो संभावना ये भी है कि ईरान सुलेमानी के बनाए गए और फंड किए गए गुटों से व्यापक समर्थन हासिल करने का प्रयास करे.
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ईरान सुलेमानी का बदला लेने के लिए कुछ भी कर सकता है. वो बगदाद में अमेरिकी दूतावास की और घेराबंदी कर सकता है. वो अमेरिका समर्थित ईराकी सरकार के लिए और ज्यादा मुश्किलें बढ़ा सकता है. ईरान ईराक में दूसरी जगहों पर प्रदर्शनों को हवा दे सकता है. ये वो वक्त भी है जब अमेरिका के लिए ईराक में रहना थोड़ा मुश्किल हो सकता है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यपूर्व के लिए बनाई गई रणनीति का परीक्षण भी होगा. क्योंकि जानकार मान रहे हैं कि सुलेमानी की हत्या अमेरिका का ईरान के खिलफा ‘युद्ध की घोषणा’ से कम नहीं है.
ईरान के लिए क्यों जरूरी थे कासिम सुलेमानी ?
कासिम सुलेमानी ईरान के लिए बहुत जरूरी थी. क्योंकि वो उस कुद्स फ़ोर्स के मुखिया थे जो ईरान के सुरक्षा बलों की महत्वपूर्ण शाखा है. इस शाखा ने विदेशों में चल रहे सैन्य ऑपरेशनों को अंजाम दिया. सुलेमानी ने वर्षों तक लेबनान, इराक़, सीरिया समेत अन्य खाड़ी देशों में योजनाबद्ध हमलों के ज़रिये मध्य-पूर्व में ईरान और उसके सहयोगियों के प्रभाव को बढ़ाने का काम किया. अमेरिका के लिए जनरल कासिम सुलेमानी के हाथ अमरीकियों के खून से रंगे थे. वहीं ईरान में सुलेमानी किसी हीरो से कम नहीं थे. व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो ईरान पर दबाव बनाने के लिए अमरीका के चलाए गए व्यापक अभियान और प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ जारी लड़ाई का सुलेमानी ने नेतृत्व किया था.
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