आरएसएस देश के 130 लोगों को हिंदू मानता है : मोहन भागवत
सीएए, एनआरसी और एनपीए के हंगामे के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का एक अहम बयान आया है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- जो भारतीय संस्कृति का सम्मान करते हैं, वे सब हिंदू हैं.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सीएए के हंगामें के बीच एक महत्वपूर्ण बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि भारत में लोगों की संस्कृति और धर्म चाहे जो भी हो, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के 130 करोड़ लोगों को हिंदू मानता है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को तेलंगाना में आयोजित तीन दिवसीय विजय संकल्प शिविर में यह बयान दिया. उन्होंने कहा कि,
“जो राष्ट्रवादी हैं, जो भारतीय संस्कृति का सम्मान करते हैं, वे सब हिंदू हैं. सभी समाज हमारा है और संघ एकजुट समाज का निर्माण करना चाहता है. जब संघ हिंदू कहता है तो उसमें सभी शामिल हो जाते हैं जो यह मानते हैं कि भारत उनकी मातृभूमि है. वैसे लोग जो देश के पानी, जमीन, पशु और जंगलों से प्यार करते हैं और जो देश की महान संस्कृति और परंपरा को जीते हैं, वे सभी हिंदू हैं. भारत माता का सभी पुत्र, चाहे वह कोई भी भाषा बोले, चाहे वह किसी भी क्षेत्र का हो, वह किसी भी स्वरूप का पूजा करता हो या पूजा में विश्वास नहीं करता हो, एक हिंदू है… इस संबंध में, संघ के लिए भारत के सभी 130 करोड़ लोग हिंदू समाज है”
देश में नागरिकता को लेकर हो रहे हंगामे में संघ प्रमुख का बयान माएने रखता है. ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब राहुल गांधी ने ट्वीट करके प्रधानमंत्री मोदी को आरएसएस का प्रधानममंत्री कहा है.
राहुल गांधी ने अपने इस ट्वीट में प्रधानमंत्री की उस बात का जिक्र किया है जिसमें उन्होंने डिटेंशन सेंटर होने की बात को खारिज किया है. दिल्ली की एक रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि देश में कोई भी डिटेंशन सेेंटर नहीं है लेकिन उन्हीं के एक मंत्री ने संसद में ये माना था कि दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत डिेटेंशन सेंटर में हुई थी.
ये भी पढ़ें:
- सिलिकॉन वैली पहुँचा JOIST, वैश्विक संबंधों को विस्तार देने की कोशिश!
- क्या खत्म हो गई है पीएम मोदी और ट्रम्प की दोस्ती?
- मुश्किल में बीजेपी नेता विकास गर्ग, गाज़ियाबाद कोर्ट ने कहा- “दोबारा जाँच करके रिपोर्ट पेश करे पुलिस” जानिए क्या है पूरा मामला?
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस सभी को स्वीकार करता है, उनके बारे में अच्छा सोचता है और उन्हें बेहतरी के लिए उच्चस्तर पर ले जाना चाहता है. एक प्रचलित वाक्य है- विविधता में एकता. लेकिन हमारा देश एक कदम आगे जाता है. केवल विविधता में एकता नहीं बल्कि एकता की ही विविधता है.