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झारखंड में बीजेपी की हार से कांग्रेस को कितना फायदा होगा?

How much will the Congress benefit from the BJP's defeat in Jharkhand?

झारखंड में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं. चुनाव में जनता ने बीजेपी सरकार को नकार दिया है. नतीजों में जेएमएम सभी बड़ी बढ़त के साथ पहले नंबर की पार्टी बनी है और कांग्रेस को एक साल के भीरत पांचवें राज्य में सरकार में शामिल होने का मौका मिल गया है.

झारखंड चुनाव के नतीजों को देखें तो बीजेपी एक साल में कांग्रेस ने पांचवें राज्य में सरकार बनाई है. कांग्रेस पार्टी झारखंड के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद बीते एक साल में पाँच राज्यों की सरकार में शामिल हो गई है. लोकसभा चुनावों से पहले हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपने दम पर जीत हासिल की और चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस पार्टी गठबंधन सरकार में शामिल हुई.

इतना ही नहीं हरियाणा में जहां उसका बीजेपी से सीधा मुकाबला था वहां पर भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा. तो क्या इस वक्त ये कहना ठीक होगा कि 2014 के भयंकर पतन के बाद अब कांग्रेस वापसी कर रही है. क्या हम ये कह सकते हैं कि कांग्रेस अपनी खामियों पर काम करना शुरु कर दिया है. झारखंड में जीत के बाद कांग्रेस का कहना है कि,

“झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत – समर्पण और कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अविश्वसनीय मार्गदर्शन का प्रमाण है. झारखंड ने भारत में सत्य, लोकतंत्र और एकता की जीत का मार्ग प्रशस्त कर दिया है.”

लेकिन झारखंड में बीजेपी की हार की वजह कांग्रेस का पुनरुत्थान था या हेमंत सोरेन की मेहनत. इसका आंकलन करना जरूरी है. लोग कह रहे हैं कि ये जीत हेमंत सोरेन की वजह से हुई है. ये बात और है कि जीत के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार होगा लेकिन कांग्रेस ने अपनी कमियों को दूर कर लिया है ये कहना जल्दबाजी होगी. हरियाणा चुनाव में ये ट्रेंड देखने को जरूर मिला था कि कांग्रेस अपने दम पर अभी सरकार बनाने में फेल रही हो रही है. ऐसा नहीं है कि कांग्रेस विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी इससे बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकती लेकिन इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने दूसरे स्तर पर नेताओं को विकसित करना होगा.

झारखंड में जीत कांग्रेस में ऊर्जा तो भऱ सकती है लेकिन इससे पार्टी खड़ी हो जाएगी ऐसा नहीं है. क्योंकि साल की शुरुआत में कांग्रेस पार्टी को तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हुई. लेकिन इसके बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ़ 55 सीटों पर सिमट गई. हालांकि पार्टी पिछले कुछ दिनों में राष्ट्रीय मुद्दों पर सत्ता का विरोध करती नजर आई है. लेकिन उस तरह से नहीं जैसी उससे उम्मीद थी. कांग्रेस को अब तभी फायदा हो सकता है जब वो राज्यों में जीत को राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी से लड़ने के लिए इस्तेमाल कर पाए.

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पार्टी को ये देखना होगा कि जिन राज्यों में उसे जीत मिल रही है वहां कौन से स्थानीय नेता उभर रहे हैं. पार्टी को दूसरी पंगत के नेताओं को तैयार करना होगा. क्योंकि जब तक परिवार पूजा को छोड़कर कांग्रेस राज्यों को जीत की तिरपाल तानने वाले खंबों के रूप में इस्तेमाल नहीं करेगी तब तक कुछ नहीं हो सकता.

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