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कला के मेले में दीवार पर केला चिपकाने का मतलब क्या था?

What did you mean by sticking a banana on the wall at the art fair?

केला हमारी सेहत के लिए बेहद जरुरी चीज है. लेकिन एक कलाकार ने केले को दीवार पर चिपकाकर इसे करिश्माई बना दिया. क्या ये संभव है कि एक सड़ा हुआ केला 1.2 डॉलर यानी 85 लाख का हो. आप कहेंगे कतई संभव नहीं है. लेकिन जनाब दीवार पर चिपका केले की कीमत 85 लाख है.

आर्ट बेसल फ्लोरिडा के मयामी बीच पर हर एक इंटरनेशनल आर्ट फेयर आयोजित होता है. इस फेयर में दुनियाभर कलाकार अपनी कलाकृतियों का प्रर्दशन करते हैं. इस फेय में इटली के कलाकार माउरिश्यो कातेलान ने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए एक केले को दीवार पर चिपका दिया. अलल में ये एक आर्ट इंस्टालेशन था लेकिन इसने करिश्मा कर दिया. कलाकृतियों के मेले में केले वाली कलाकृति की कीमत 1.2 लाख डॉलर यानी लगभग 85 लाख रुपए तक पहुंच गई.

चार दिन चलने वाला यह प्रसिद्ध कला मेला इस साल छह दिसंबर से नौ दिसंबर के बीच आयोजित किया गया था. इस मेले में ‘कॉमेडियन’ शीर्षक वाली इस कलाकृति का भी प्रदर्शन किया गया था. इसमें एक पका हुआ केला डक्टटेप से दीवार पर चिपकाया गया था. कातेलान की इस कला ने दुनियाभर के कला प्रेमियों का ध्यान खींचा. लोग पूछने लगे कि इस कलाकृति में कला कहां है. या यूं कहें कि इस केले में कला कहां है.

हैरानी तब और ज्यादा बढ़ गई जब इस बेतुकी कला की कीमत भी 85 लाख तक पहुंच गई. इतना ही नहीं इसको एक कलाप्रेमी ने खरीद भी लिया. हालांकि ये केला उस वक्त और मशहूर हो गया जब अमेरिकी कलाकार डेविड डटूना, जो ऑप्टिकल लेंस के जरिए कलाकृतियां बनाने के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं उन्होंने कलाकृति से केले को निकालकर खा लिया. उन्होंने कहा कि वो ‘हंग्री आर्टिस्ट’ नाम की आर्ट परफॉर्मेंस दे रहे हैं.

कातेलान की इस केला कला को लोग अपने अपने चश्मे से देख रहे हैं. कोई कह रहा है कि कि डटूना और कातेलान को अपने इरादों में उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली है. यहां पर यह भी बताते चलते हैं कि डटूना के खा जाने के बाद इस आर्ट इंस्टालेशन को एक दूसरे केले के साथ दोबारा तैयार कर दिया गया था. कातेलान ने कुछ महीने पहले सोने की एक टॉयलेट सीट इंग्लैंड में आयोजित एक कला प्रदर्शनी में लगाई थी जहां से ये चोरी हो गई थी.

उन्होंने 2016 में उन्होंने 18 कैरेट सोने का इस्तेमाल कर एक फुल फंक्शनिंग टॉयलेट सीट बनाई थी. न्यूयॉर्क के गगेनहाइम म्यूजियम में रखी गई इस कलाकृति को कातेलान ने ‘अमेरिका’ नाम दिया था. सितंबर 2019 में इसे इंग्लैंड के ब्लेनहिम पैलेस में प्रदर्शित किया गया था जहां से यह चोरी हो गई. उसी तरह उन्होंने केला दीवार पर चिपकाकर सुर्खियां बटोरी. कोई केले को मेल सेक्शुएलिटी से जोड़ रहा है तो कई कह रहा है कि इस माध्यम से कलाकार ये बताना चाह रहा है कि लोगों भूख मिटाने के लिए सहजता से एक केला भी नहीं मिल रहा.

आपको बता दें कि कातेलान अपनी ऐसी कलाकृतियों के लिए मशहूर हैं. 1997 में उन्होंने जानवरों और इंसानों के बीच संबंध दिखाने के लिए ‘नोवेसेंटो’ शीर्षक वाला एक आर्ट इंस्टालेशन तैयार किया था जिसमें उन्होंने असली से लगने वाले एक नकली घोड़े को छत से लटका दिया था. 1999 में बनाई ऐसी ही दूसरी कृति में उन्होंने अपने गैलरी मालिक माशिमो डि कार्लो को ही डक्ट टेप के जरिए दीवार पर चिपका दिया था. अ परफेक्ट डे शीर्षक से बनाई गई इस कृति में कार्लो दिन भर यानी करीब 10 घंटे इसी तरह दीवार पर चिपके रहे थे.

कुछ लोगों का कहना है कि कातेलान की केला कृति कला बाज़ार पर की गई व्यंगात्मक टिप्पणी है, जो कि अपनी ताज़ा या सुंदर सूरत के साथ आपके सामने है, लेकिन धीरे-धीरे इसका क्षय हो रहा है. तो दीवार पर चिपके केले के लोग अलग अलग मतलब निकाल रहे हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इस केले को खरीदा किसने. तो आपको बता दें कि इस आर्ट इंस्टालेशन के 85 लाख रुपये में बिकने की बात करें तो इसके कई पक्ष हैं.

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इसके बिकने को लेकर आर्ट फेयर में केवल यह जानकारी दी गई है कि एक आर्ट कलेक्टर ने इसे 1,20,000 डॉलर में खरीदा है लेकिन उस महिला का नाम कहीं पर भी नहीं बताया गया है. कला जगत को समझने वाले मानते हैं कि अगर यह कलाकृति सच में इतनी ऊंची कीमत पर बिकी है तो इसका उद्देश्य केवल अपने धन-बल का प्रदर्शन करना ही होगा. क्योंकि केला तो मुश्किल से दो-तीन दिन ही रखी जा सकने वाली चीज है.

तो आपको बता दें कि इस सड़े हुए केले को खरीदा गया है तो खरीदने वाले को इस कलाकृति का सर्टिफिकेट मिला होगा. यानी जिसने भी 1.2 लाख डॉलर में इस कृति को खरीदा है, उसने वह विचार खरीदा है जो इससे व्यक्त किया गया है, न कि सिर्फ केला. यह और बात है कि आर्ट इंस्टालेशन के साथ खरीदने वाले को यह इंस्ट्रक्शन भी दिया गया है कि वह हर हफ्ते इस केले को बदल देगा और ऐसा करने के बाद भी इसे असली ही माना जाएगा. लेकिन यह मजेदार है कि केले के पीछे विचार क्या है, इसका अंदाजा भी ठीक से अब तक नहीं लगाया जा सका है.

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