कांग्रेस की ‘भारत बचाओ रैली’ में क्या नया है ?
गिरती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरने के लिए तैयार है. कांग्रेस दिल्ली में ‘मोदी है तो मंदी है’ नारे के साथ ‘भारत बचाओ रैली’ करने जा रही है. इस रैली में कांग्रेस अपने संगठन में भी बदलाव करने का कोई बड़ा ऐलान कर सकती है.
दिल्ली के रामलील मैदान में 14 दिसंबर को कांग्रेस एक विशाल रैली का आयोजन करने जा रही है. इस रैली में देशभर से कांग्रेस कार्यकर्ता जुटेंगे. रैली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का नारा ‘मोदी है तो मंदी है’ होगा और ऐसी भी संभावना है कि इसमें राहुल गांधी को फिर पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग उठे. शनिवार को होने वाली भारत बचाओ रैली के लिए कांग्रेस काफी दिनों से तैयारी कर रही है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि इस रैली में कांग्रेस का पूरा फोकस राहुल गांधी पर होगा. इसके अलावा देश के आर्थिक हालातों पर भी मोदी सरकार को घेरने की तैयारी है. बढ़ती बेरोजगारी समेत किसानों की समस्याओं जैसे मुद्दे भी कांग्रेस जोर शोर से उठाने के लिए तैयार है.
मंदी के मुद्दे पर मोदी को घेरेगी कांग्रेस
इस रैली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह समेत पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेता शामिल होंगे. कांग्रेस इस रैली को कामयाब बनाने की पूरी कोशिश रही है. रैली का फोकस मोदी सरकारी की नीतियों का पुरजोर विरोध करना है. रैली में गिरती जीडीपी और महंगाई जैसे मुद्दे भी उठाए जाएंगे. यही कारण है कि इस रैली में कांग्रेस का है ‘मोदी है तो मंदी है’. खबर ये भी आ रही है कि इस रैली के माध्यम से कांग्रेस राहुल गांधी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश भी करेगी. टीम राहुल की कोशिश है कि रैली में एक बार फिर राहुल को प्रोजेक्ट और उनके लिए माहौल तैयार किया जाए.
राहुल का मास्क लगाकर आएंगे कार्यकर्ता
रैली में कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी संख्या में राहुल गांधी का मास्क लगाए दिखेंगे. यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई रैली में पूरी तरह से राहुल का समर्थन करते दिखेंगी. कार्यकर्ताओं के हाथ में बैनर, पोस्टर, झंडे होंगे, जो पार्टी नेतृत्व के लिए राहुल के पक्ष में माहौल तैयार करेंगे. खबर है कि कांग्रेस के कई नेता चाहते हैं कि पार्टी की कमान एक बार फिर से राहुल गांधी के हाथ में आए. वैसे अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद राहुल गांधी पार्टी के मामलों में कम ही दखल दे रहे हैं। उनका ज्यादातर समय उनके संसदीय क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों में ही जा रहा है. चुंकि सोनिया के अध्यक्ष बनने के बाद ये पहली बड़ी रैली है लिहाजा कांग्रेस के नेता इसको कामयाब बनाने के लिए कोई कसर नहीं रखना चाहते.